चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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छठ पूजा 2016

छठ पूजा
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(Chhath Puja 2016), एक हिन्दू त्यौहार है जो प्रति वर्ष भारत में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह एक बहुत ही प्राचीन त्यौहार है जिसको डाला छठ, डाला पुजा, सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है जिसमे भगवान सूर्य की आराधना की जाती है। साथ ही लोग सूर्य से अपने परिवार के लिए सुख-शांति, सफलता, की कामना करते हैं। हिन्दू संस्कृति के अनुसार सूर्य की कामना एक रोग मुक्त, स्वास्थ्य जीवन की कामना होती होती है।

छठ पूजा 2016

छठ की रस्म निभाने वाले या पूजा करने वाले उस दिन सुबह बहुत जल्दी उठते हैं।  जो लोग गंगा नदी के पास रहते हैं वे गंगा में पवित्र स्नान करते हैं और जो लोग भारत के एनी स्थानों में रहते हैं नदीयों या तालाब में स्नान लेते हैं। वे पूरा दिन उपवास करते हैं और पूरा दिन पानी भी नहीं पीते। उस दिन पूजा करने वाले लोग बहुत ही लम्बे समय तक पानी में आधा शारीर डूबा कर खड़े रहते हैं और सूर्योदय का इंतज़ार करते हैं।
भारत में कई राज्यों में छठ पूजा मनाया जाता है जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड और नेपाल। हिन्दू कैलंडर के अनुसार छठ पूजा कार्तिक महीने के 6वें दिन मनाया जाता है।

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