हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए
वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आए। इन शक्ति
पीठों की संख्या अलग-अलग धर्म ग्रंथों में अलग-अलग दी गई है। जहां देवी
पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है वही देवी भागवत में 108, देवी गीता
में 72 और तन्त्रचूडामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। हालांकि मुख्य तौर
पर देवी के 51 शक्तिपीठ ही माने गए है। लेकिन क्या आप जानते हैं, 51
शक्तिपीठों में से 4 ऐसे भी हैं जो आज भी अज्ञात हैं। वे आज कहां और किस
रूप में हैं, यह बात कोई नहीं जान पाया।
रत्नावली शक्ति पीठ (Ratnavali Shakti Peeth)
मां सती के इस शक्तिपीठ को लेकर कहा जाता है कि यहां देवी मां का कंधा गिरा
था। मान्यता है कि यह अंग मद्रास की आस-पास गिरा, लेकिन सही स्तिथि ज्ञात
नहीं है।
कालमाधव शक्ति पीठ (Kalmadhav Shakti Peeth)
कहते है यहां देवी सती कालमाधव और शिव असितानंद नाम से विराजित हैं।
मान्यता है यहां मां सती का बाएं कूल्हे गिरे थे। यह स्थान भी आज तक अज्ञात
है।
लंका शक्ति पीठ (Lanka Shakti Peeth)
यहां देवी सती का कोई गहना गिरा था। यहां सती को इंद्राक्षी और शिव को
रक्षेश्वर कहते हैं। शास्त्रों में इस शक्तिपीठ का उल्लेख मिलता है। लेकिन
इसकी वास्तविक स्तिथि का नहीं।
पंचसागर शक्तिपीठ (Panchsagar Shakti Peeth)
कहते है यहां सती का निचला जबड़ा गिरा था। यहां देवी सती को वरही कहा गया
है। शास्त्रों में इस शक्तिपीठ का उल्लेख मिलता है। लेकिन यह स्थान कहां
हैं, कोई नहीं जानता।
Comments
Post a Comment