चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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यहां उलटा स्वस्तिक बनाओ और मुंहमांगी मुराद पाओ


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मध्य प्रदेश के इंदौर में गणेशजी का ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां केवल उल्टा स्वस्तिक बनाने से हर मनोकामना पूरी होती है।

मान्यताओं के अनुसार इंदौर स्थित खजराना मंदिर में भगवान गणेशजी के मंदिर के पीछे दीवार यानी गणेशजी की पीठ पर लोग उलटा स्वस्तिक चिह्न बनाते हैं और मन्नत पूरी होने के बाद दोबारा आकर सीधा स्वस्तिक बनाते हैं। कहते हैं यहा आने वाले की हर मुराद पूरी हाेती है और जातक यह दोबारा जरूर आता है।

खजराना गणेश मंदिर में बुधवार को पूजा का विशेष प्रावधान है। यहां इस दिन श्रृंगार के बाद भगवान गणेशजी की विधिवत आरती और भोग लगता है। शाम की आरती देखने के लिये बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं।


मंदिर की प्रसिद्धि का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि जब भी भारतीय क्रिकेट टीम इंदौर मैच खेलने आती है तो टीम के सदस्य मंदिर दर्शन करने जरूर आते हैं। इसके अलावा सीएम भी प्रतिदिन यहां पूजा करने आते हैं। बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण 1735 में होल्कर वंश की महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था। 

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