चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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Guru Gobind Singh Birth day Wallpaper

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आप सभी को श्री गुरू गोबिंद सिंह जी के प्रकाश उत्सव की लख-लख बधाई

जन्म नाम –     गोबिंद राय सोधी
जन्म –     22 दिसम्बर, 1666, पटना साहिब, भारत
माता पिता –     माता गुजरी, गुरु तेग बहादुर
अन्य नाम –     दसवें सिख गुरु, सर्बांस दानी, मर्द अगम्र, दशमेश पिताह, बाज’अन वाले
पूर्ववर्ती गुरु –     गुरु तेग बहादुर
उत्तराधिकारी गुरु –     गुरु ग्रन्थ साहिब
पत्नियों के नाम –     माता जीतो, माता सुंदरी, माता साहिब देवन
बच्चों के नाम –     अजित सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फ़तेह सिंह
मृत्यु –     7 अक्टूबर, 1708 हजुर साहिब नांदेड, भारत

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