चंडीगढ । पीजेपीएस ने सुभाष चन्द्र बोस को पैगम्बर ऑफ स्वतंत्रता आंदोलन की उपाधि दिया। साथ ही श्री झा ने कहा कि पूर्वांचल जनता पार्टी (सेक्यूलर) की सरकार बनने पर नेताओं और अधिकारियों की आय से अधिक संपत्ति को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया जाएगा। इसके लिए नेशनल एसेट कॉरपोरेशन आफ इंडिया नामक संस्था बनाई जाएगी जो कि सुप्रिम कोर्ट की निगरानी में रहेगी।पूर्वांचल जनता पार्टी (सेक्यूलर) का गठन दिनांक 4 जनवरी, 2015 को किया गया तथा यह पार्टी पूर्वांचल वासियों को सम्मानपूर्वक और शांतिपूर्वकजीवन यापन करने की दिशा में उन्मुख करने हेतु पूर्णरूप से प्रतिबद्ध है जिससे उनके बच्चों का भविष्य स्वर्णिम हो।
दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल के लोगों और अन्य प्रवासियों के साथ जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में होने वाले अन्याय और भेदभाव केखिलाफ पूर्वांचल जनता पार्टी (सेक्यूलर) द्वारा आगामी दिल्ली नगर निगम चुनाव में सभी 272 वार्डों में अपनी प्रत्याशियों को उतारेगी। इस बात की जानकारी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक मुकेश कुमार सिंह ने दी। साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश चन्द्र झा ने बताया कि दिल्ली में सबसे ज्यादा की जनसंख्या में फूर्वाचल वासी रहते हैं लेकिन बावजूद इसके हम पूर्वांचल वासी भाजपा, कांग्रेस जैसे पार्टियों को वोट देते रहे हैं। श्री झा ने बताया कि अब पूर्वांचल वासी बटाईदार की तरह नहीं बल्कि मालिक की तरह पूर्वांचल जनता पार्टी (सेक्यूलर) के माध्यम से दिल्ली नगर निगम में सरकार बनाएगी और अपना अधिकार हासिल करेगी।
आगामी दिल्ली नगर निगम चुनाव को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि वह सभी 272 वार्डों में अपने उपयुक्त, परिश्रमी और शिक्षित प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारेगी ताकि अनियमित कालोनियों में रहने वाले गरीब और वंचित लोगों को जिम्मेदार प्रतिनिधित्व मिल सके। एक दशक से अधिक समय से दिल्ली नगर निगम का स्वरूप खराब हो गया है क्योंकि जिन लोगों पर दिल्ली नगर निगम चलाने कि जिम्मेदारी है, उनके प्रबंधन कौशल में निपुणता की भारी कमी रही है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सबसे अधिक शहरी आबादी वाला क्षेत्र है जहाँ शहरी लोगों की जनसंख्या 93 प्रतिशत है और इसके बाद संघ शासित प्रदेश चंडीगढ (89.8 प्रतिशत) और पुदुच्चेरी (66.6 प्रतिशत) आते हैं। दिल्ली के 93 प्रतिशत शहरी जनसंख्या में से आधे से अधिक जनसंख्या अनियमित कालोनियों में रहती है जहाँ मूलभूत सुविधाओं की स्थिति बहुत ही दयनीय है। भारतीय संविधान के 74 वें संशोधन में शक्तियों के हस्तांतरण पर बल दिया गया है जिसके तात्पर्य निधि, कार्य और कार्यकारिणी नामक तीन हस्तांतरण आते हैं। वास्तविकता यह है कि ऐसा नहीं हो रहा है योंकि ज्यादातर हस्तांरण बस कागजों तक ही सिमित रह जाता है।
जय हिन्द!
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