Martyrdom of Sri Guru Tegh Bahadur

हिंदू धर्म के रक्षक श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत से एक दिन पहले उन्हें डराने के लिए चांदनी चौंक में उनके सिख भाई मति दास जी को आरे से दो टुकड़े कर दिए गए,भाई सती दस जी को रुई में लपेट जिंदा जलाया गया, भाई दयाल जी को देग में उबाल कर शहीद किया गया। उनकी शहादत को बारम्बार प्रणाम 

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एक साधारण लड़के की असाधारण कहानी- लाईफ ऑफ पाई


कहते हैं जो इंसान खुद की मदद नहीं करता उसकी मदद खुदा भी नहीं करता। कुछ यही थीम लिये हॉलीवुड निर्देशक एंग ली की फिल्म लाइफ ऑफ पाई आगे बढ़ती है। फिल्म को देखने के बाद दिल में सिर्फ एक ही ख्याल आया कि इंसान के अंदर अगर जीने की चाहत हो तो वो किसी भी मुश्किल से खुद को बाहर निकाल सकता है। खुदा ने ये जिंदगी हमें सिर्फ एक बार ही दी है अब ये हमारे ऊपर है कि हम इससे जुड़ी मुश्किलों से घबराकर इसका हाथ छोड़ देते हैं या फिर हर बड़ी से बड़ी मुश्किल का सामना करते हुए भी इसका हाथ थामे रहते हैं। कहानी- लाइफ ऑफ पाई एक साधारण लड़के अब्दुल पाई पटेल की कहानी है जो कि अपने पिता संतोष पटेल के साथ पॉंडीचेरी में रहता है। पॉंडीचेरी में उसके पिता का एक जू है। एक दिन पाई के पिता अपने बिजनेस को और बढ़ाने के लिए शहर से बाहर जाने का फैसला करते हैं। वो लोग पानी के रास्ते से अपने जू के जानवरों को लेकर कनाडा की ओर जाते हैं। लेकिन रास्ते में एक समुद्री तूफान में फंसकर उनका जहाज पलट जाता है और एक लाइफ बोट में सिर्फ पाई और उसके जू के चार जानवर बचते हैं जिनमें बंगाली शेर पार्कर, जेब्रा, लकड़बग्गा और वनमानुष हैं। धीरे धीरे समय व्यतीत होता जाता है और शेर को छोड़कर तीनों जानवर भी मर जाते हैं। अंत में सिर्फ पाई और पार्कर शेर बचते हैं। पाई के किरदार में सूरज शर्मा को लोगों ने बेहद पसंद किया। कहा जा रहा है कि सूरज ने पाई के किरदार को जिया है सिर्फ उसकी एक्टिंग नहीं की है। जिंदगी को किसी भी कीमत पर ना खोने का साहस और हिम्मत, अपने साथियों को जिंदा रखने के लिए पाई की मौत से जंग इन सभी बातों को सूरज ने बड़ी ही खूबसूरती से स्क्रीन पर उतारा है। पाई के अलावा शेर का किरदार भी फिल्म देखते समय दर्शकों के रोंगटे खड़े कर देता है।



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