चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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केन्द्र सरकार को सौंपे गये एआइओसीडी के ज्ञापन में दवाईयों की ऑनलाइन बिक्री के खिलाफ सख्त आपत्ति जताई गई




पूरी संवेदनशीलता के साथ विचार-विमर्श करने के बाद ही स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लिए जाने चाहिए - जगन्नाथ शिंदे, प्रेसिडेंट, एआइओसीडी



चंडीगढ - दवाईयों की ऑनलाइन बिक्री का नेटवर्क समूचे देश में फैल रहा है। ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट (एआइओसीडी) के प्रेसिडेंट श्री जगन्नाथ शिंदे ने यह प्रश्न उठाया कि आखिर सरकार नागरिकों के स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों को नजरअंदाज क्यों कर रही है? इससे संबंधित निर्णय संवेदनशीलता के साथ विचार-विमर्श करने के बाद लिये जाने चाहिए। क्या देश में ऐसी आपातकालीन स्थिति उत्पन्न हो गयी है कि दवाईयों की ऑनलाइन बिक्री को तुरंत शुरु किया जाना अनिवार्य हो गया है? ई-फार्मेसी से संबंधित केन्द्र सरकार द्वारा तैयार किए गए दिशा-निर्देश पर आपत्ति जताते हुए एआइओसीडी ने केन्द्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के उप सचिव श्री के. एल. शर्मा को एक बिंदु-वार ज्ञापन सुपुर्द किया है।

दवाईयों की ऑनलाइन बिक्री को केवल छूट के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इस संदर्भ में दीर्घकालिक दृष्टि से ग्राहकों के वापस न मिल सकने योग्य अधिकारों एवं सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाना आवश्यक है। वास्तव में केन्द्र सरकार ने औषधि विक्रेताओं के लाभ को निर्धारित कर दिया है और अब अतिरिक्त छूट पर दवाईयों की बिक्री इनकी गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगाती है। यह स्पर्धा 8 लाख दवा विक्रेताओं की गरिमा और अस्तित्व के साथ खिलवाड़ है एवं असंगत होने के साथ ही साथ प्रश्नों के दायरे में आती है।

एआइओसीडी ने यह ज्ञापन दिल्ली में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को प्रदान किया, जिसमें दवाईयों की बिक्री के व्यवसाय की सच्चाई एवं कमियों को इंगित किया गया है। कमेटी ने इस बात को पुख्ता तरीके से रखा कि डीसीजीआइ में केवल विनियामक निकायों के प्रतिनिधि ही नहीं होने चाहिए, बल्कि इसमें व्यवसाय के सभी वर्गों को शामिल किया जाना चाहिए। केन्द्र सरकार के प्रारुप में ऑनलाइन तौर पर दवाईयों की बिक्री के लिए नए केंद्रीय प्राधिकरण का प्रस्ताव किया गया है, जोकि प्राधिकरण के विकेन्द्रीकरण के सिद्धांतों के विरुद्ध है।

देश के ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च योग्यता-संपन्न चिकित्सकों के अभाव के साथ समुचित स्वास्थ्य सेवाओं की भी काफी कमी है, इसलिए केन्द्र सरकार को विनियामकीय प्रणाली को मजबूत करने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो फिलहाल कमजोर स्थिति में है। दवाईयों की गुणवत्ता की जांच के लिए प्रयोगशाला, आइटी सेंटर, लॉ यूनिट की व्यवस्था करने जैसे विभिन्न बिंदुओं के साथ ज्ञापन को सुपुर्द किया गया।

हालांकि केन्द्र सरकार सभी स्थानों पर दवाईयों को उपलब्ध कराने की इच्छुक है, लेकिन उसके इस प्रारुप में ड्रग माफिया, युवाओं में मादक द्रव्यों की लत, ग्राहकों के हित, एचआइवी रोगियों के सामाजिक हित, खरीदारों की स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा, इत्यादि जैसे मुद्दों को शामिल किया जाना आवश्यक है। ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट के प्रेसिडेंट श्री जगन्नाथ शिंदे ने स्पष्ट रुप से यह मांग की कि 1940 के ड्रग एंड कॉस्मेटिक ऐक्ट अथवा नियम 45 में प्रस्तावित संशोधन तथा दवाईयों की ऑनलाइन बिक्री की अनुमति को तब तक रोक कर रखना चाहिए, जब तक कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तुत इस प्रारुप में संशोधन नहीं किया जाता तथा एआइओसीडी द्वारा उठाई गयी आपत्तियों पर सकारात्मक समाधान का निर्णय नहीं लिया जाता।

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