जगतगुरु स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज का जन्मोत्सव: भारतीय अध्यात्म का एक उज्ज्वल पर्व

  जगतगुरु स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज का जन्मोत्सव: भारतीय अध्यात्म का एक उज्ज्वल पर्व भारत भूमि संतों, महात्माओं और ऋषियों की भूमि है, जिन्होंने अपनी आध्यात्मिक साधना और ज्ञान के माध्यम से मानवता को मार्गदर्शन प्रदान किया। ऐसे ही एक महान संत, जगतगुरु स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज, भारतीय वेदांत और सनातन धर्म के एक प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उनका जन्मोत्सव हर साल श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। जीवन परिचय स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी का जन्म 21 दिसंबर 1868 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) के पास एक छोटे से गाँव में हुआ। उनका बचपन का नाम राजाराम था। बाल्यकाल से ही वे साधारण जीवन और आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित थे। मात्र नौ वर्ष की आयु में उन्होंने घर-परिवार छोड़कर सन्यास की राह पकड़ ली। स्वामी जी ने अपने जीवन में अद्वितीय साधना और तपस्या के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त की। वे वेद, उपनिषद, गीता और अन्य धार्मिक ग्रंथों के ज्ञाता थे। 1941 में उन्हें ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य के रूप में नियुक्त किया गया। उनकी अध्यात्मिक नेतृत्व क्षमता ने उन्हें...

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भँवरे ने खिलाया फूल फूल को ले गया राज-कुँवर: प्रेमरोग (1982)





फिल्मः प्रेमरोग (1982)
गायक/गायिकाः सुरेश वाडेकर, लता मंगेशकर
संगीतकारः लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
गीतकारः नरेंद्र शर्मा
कलाकारः ऋषि कपूर, पद्मिनी कोल्हापुरे, नंदा

( भँवरे ने खिलाया फूल फूल को ले गया राज-कुँवर
भँवरे तू कहना न भूल फूल तुझे लग जाय मेरी उमर
भँवरे ने खिलाया फूल फूल को ले गया राज-कुँवर ) -2
वो दिन अब ना रहे
क्या-क्या बिपदा पड़ी फूल पर कैसे फूल कहे
वो दिन अब ना रहे
होनी थी या वो अनहोनी जाने इसे विधाता
छूटे सब सिंगार गिरा गल-हार टूटा हर नाता
शीश-फूल मिल गया धूल में क्या-क्या दुख न सहे
वो दिन अब ना रहे
भँवरे तू कहना न भूल फूल डाली से गया उतर
भँवरे ने खिलाया फूल फूल को ले गया राज-कुँवर
सुख-दुख आये जाये जाये
सुख-दुख आये जाये
सुख की भूख ना दुख की चिंता प्रीत जिसे अपनाये
सुख-दुख आये जाये
मीरा ने पिया विष का प्याला विष को भी अमरित कर डाला
प्रेम का ढाई अक्षर पढ़ कर मस्त कबीरा गाये
सुख-दुख आये जाये
भँवरे तू कहना न भूल फूल गुज़रे दिन गये गुज़र
भँवरे ने खिलाया फूल फूल को ले गया राज-कुँवर
ना
ना रे ना
फैली-फूली फुलवारी में भँवरा गुन-गुन गुन-गुन गुन-गुन गुन-गुन गाये
काहे सोवत निंदिया जगाये -2
लाखों में किसी एक फूल ने लाखों फूल खिलाये
मंद-मंद मुस्काये
हाय काहे सोवत निंदिया जगाये
भँवरे तू कहना न भूल फूल तेरा मधुर नहीं मधुकर
भँवरे ने खिलाया फूल फूल को ले गया राज-कुँवर
भँवरे तू कहना न भूल फूल मेरा सुंदर सरल सुघड़
भँवरे ने खिलाया फूल फूल को ले गया राज-कुँवर
फूल मेरा सुंदर सरल सुघड़
फूल को ले गया राज-कुँवर
फूल मेरा सुंदर सरल सुघड़ -2


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