Martyrdom of Sri Guru Tegh Bahadur

हिंदू धर्म के रक्षक श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत से एक दिन पहले उन्हें डराने के लिए चांदनी चौंक में उनके सिख भाई मति दास जी को आरे से दो टुकड़े कर दिए गए,भाई सती दस जी को रुई में लपेट जिंदा जलाया गया, भाई दयाल जी को देग में उबाल कर शहीद किया गया। उनकी शहादत को बारम्बार प्रणाम 

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मिलती है जिन्दगी में, मोहब्बत कभी कभी




















मिलती है जिन्दगी में, मोहब्बत कभी कभी
मिलती है जिन्दगी में, मोहब्बत कभी कभी

होती है दिलबरों की इनायत कभी कभी
होती है दिलबरों की इनायत कभी कभी

शर्मा के मुँह ना फेर नज़र के सवाल पर
लाती है ऐसे मोड़ पर किस्मत कभी कभी

फिर खो न जाये हम कहीं दुनिया की भीड़ में
मिलती है पास आने की मोहलत कभी कभी

तनहा न कट सकेंगे जवानी के रास्ते
पेश आएगी किसी की जरुरत कभी कभी

खुलते नहीं हैं रोज दरीचे बहार के
आती है जान-ए-मन ये क़यामत कभी कभी

होती है दिलबरों की इनायत कभी कभी
मिलती है जिन्दगी में, मोहब्बत कभी कभी
#rajeshdahiya
गीतकार : साहिर लुधियानवी, गायक : लता मंगेशकर, संगीतकार : रवी, चित्रपट : आँखे (१९६८)

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