चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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यूँही तुम मुझ से बात करती हो, या कोई प्यार का इरादा है








यूँही तुम मुझ से बात करती हो, या कोई प्यार का इरादा है
अदायें दिल की जानता ही नहीं, मेरा हमदम भी कितना सादा है
रोज आती हो तुम खयालों में, जिंदगी में भी मेंरी आ जाओ
बीत जाये ना ये सवालों में, इस जवानी पे कुछ तरस खाओ
हाल-ए -दिल समझो सनम, कहेंगे मुंह से ना हम
हमारी भी कोई मर्यादा है
भोलेपन में है वफा की खुशबू, तुझ पे सब कुछ ना क्यों लूटाऊ मैं
मेरा बेताब दिल ये कहता है, तेरे साये से लिपट जाऊं मैं
मुझ से मेल तेरा, ना हो एक खेल तेरा
ये करम मुझ पे कुछ ज्यादा है
बन गयी हो मेरी सदा के लिए, या मुझे यूँही तुम बनाती हो
कही बाहों में ना भर लूँ तुमको, क्यों मेरे हौसले बढाती हो
हौसले और करो, पास आते ना डरो
दिल ना तोड़ेंगे अपना वादा है
#rajeshdahiya
यूँही तुम मुझ से बात करती हो (सच्चा झूठा -१९७०)
गीतकार : इंदिवर,
गायक : लता - रफी,
संगीतकार : कल्याणजी आनंदजी
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