चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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यशोमती मैया से बोले नंदलाला








यशोमती मैया से बोले नंदलाला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला

बोली मुस्काती मैया, ललन को बताया
कारी अंधियरी आधी रात में तू आया
लाडला कन्हैया मेरा, काली कमली वाला
इसीलिए काला
यशोमती मैया से बोले...

बोली मुस्काती मैया, सुन मेरे प्यारे
गोरी गोरी राधिका के नैन कजरारे
काले नैनों वाली ने, ऐसा जादू डाला
इसीलिए काला
यशोमती मैया से बोले...

इतने में राधा प्यारी, आई इठलाती
मैंने न जादू डाला, बोली बलखाती
मैय्या कन्हैया तेरा हो, जग से निराला
इसीलिए काला
यशोमती मैय्या से बोले...
#rajeshdahiya
Movie/Album: सत्यम शिवम सुन्दरम (1978)
Music By: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
Lyrics By: विट्ठलभाई पटेल
Performed By: मन्ना डे, लाता मंगेशकर

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