चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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वो कौन सी चीजें है जो मनुष्य के लिए महान बनने सहायक है !!!! अवश्य जानिए




🌼 *क्या माँगें ईश्वर से*🌼
*एक बार सन्त से उसके बेटे ने पूछा- ‘अगर मालिक ने फरमाया कि कोई चीज मांग, तो मैं क्या मांगूं?’’सन्त ने कहा- ‘‘परमार्थ का धन। बेटे ने फिर पूछा- ‘‘अगर मालिक और चीज मांगने को कहे तो?’ सन्त ने कहा- ‘‘पसीने की कमाई मांगना।’’ उसने फिर पूछा- ‘‘तीसरी चीज?’’ जवाब मिला- ‘‘उदारता।’’ ‘चौथी चीज क्या मांगूं?’’ ‘शर्म।’’ ‘पांचवीं?’’ ‘अच्छा स्वभाव।’’ बेटे ने फिर पूछा- ‘‘और कुछ मांगने को कहे तो?’’ संत ने उत्तर दिया- ‘‘बेटा जिसे ये 5 चीजें मिल गईं उसे और मांगने के लिए कुछ भी नहीं बचेगा। खुशहाली का यही रास्ता है और तुझे भी इसी रास्ते से जाना चाहिए।’’ यही सत्य है, ईश्वर से वही चीज़ माँगी जानी चाहिये जो उस से माँगे जाने के लायक है धन-सुख-साधन इत्यादि तो कमाए जाने की चीज़ें हैं माँगी जाने की नहीं।*
*जय श्री कृष्णा*🙏...


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