चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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22 मार्च- विश्व जल दिवस विशेष: आओ रोकें जल की बर्बादी



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विश्व जल दिवस मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1992 के अपने अधिवेशन में की थी
दुनिया भर में विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है। विश्व जल दिवस मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1992 के अपने अधिवेशन में की थी। विश्व जल दिवस की अंतरराष्ट्रीय पहल रियो डि जेनेरियो में वर्ष 1992 में पर्यावरण तथा विकास के विषय पर आयोजित संयुक्तराष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीईडी) में की गई थी, इसके बाद सबसे पहले साल 1993 में 22 मार्च को पूरे विश्व में जल दिवस के मौके पर जल के संरक्षण और रख-रखाव पर जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।


ऎसे हुई विश्व जल दिवस की शुरूआत-

रियो डि जेनेरियो में 1992 में पर्यावरण तथा विकास पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में विश्व जल दिवस की पहल की गई, इसके बाद यूएन ने घोषणा की कि प्रत्येक साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाएगा। विश्व जल दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य, जल बचाने का संकल्प करने, पानी के महत्व को जानने और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत रहना है। प्रत्येक वर्ष विश्व जल दिवस मनाने के लिए एक अलग थीम होती है।
जल संरक्षण के संकल्प का दिन



विश्व जल दिवस को पानी बचाने के संकल्प का दिन कहा जाता है। यह दिन जल के महत्व को जानने का और पानी के संरक्षण के विषय में जागरूकता का दिन है। आँकड़ों के मुताबिक विश्व के 1.5 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है। कहने के लिए धरती पर 70 प्रतिशत से ज्यादा भाग में सिर्फ जल ही पाया जाता है। लेकि न यह पानी पीने के योग्य नहीं है। शहरीकरण की वजह से अधिक सक्षम जल प्रबंधन और बढिया पेय जल और सैनिटेशन की जरूरत पड़ती है। लेकिन शहरों के सामने यह एक गंभीर समस्या है। शहरों की बढ़ती आबादी और पानी की बढ़ती मांग से कई दिक्ततें खड़ी हो गई हैं।


जिन लोगों के पास पानी की समस्या से निपटने के लिए कारगर उपाय नहीं है उनके लिए मुसीबतें हर समय मुंह खोले खड़ी हैं। कभी बीमारियों का संकट तो कभी जल का अकाल, एक शहरी को आने वाले समय में ऎसी तमाम समस्याओं से रूबरू होना पड़ सकता है। ऎसा नहीं है कि पानी की समस्या से हम जीत नहीं सकते। अगर सही ढ़ंग से पानी का सरंक्षण किया जाए और जितना हो सके पानी को बर्बाद करने से रोका जाए तो इस समस्या का समाधान बेहद आसान हो जाएगा। लेकिन इसके लिए जागरूकता की जरूरत है। एक ऎसी जागरूकता की जिसमें दुनिया के हर इंसान पानी को बचाना अपना धर्म समझें।
भारत में जल की स्थित-


भारत में सालाना लाखों लोगों की मौत दूषित पानी और खराब साफ-सफाई की वजह से होती है। दूषित जल के सेवन की चपेट में आने वाले लोगों के चलते हर साल देश की अर्थव्यवस्था को अरबों रूपये का नुकसान उठाना पड़ता है। छत्तीसगढ़, बुंदेलखंड, बिहार, उड़ीसा के कई हिस्सों से लगातार खबरें आती हैं कि आमलोग दूषित जल के सहारे जीवन यापन करने को मजबूर हैं। जहां तक श्रीलंका की बात है तो वहां सुनामी के प्रलय से पहले तक सिर्फ 40 फीसद ग्रामीण आबादी के पीने का पानी सरकार मुहैया करा रही थी और सुनामी के बाद ऎसी स्थिति बन गई है कि ग्रामीण और शहरी दोनों तबकों को पेयजल के नाम पर खारा पानी मिल रहा है।

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