चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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आया मेरा हरा- भरा सावन 🙏पं उपेन्द्र भट्ट


पं उपेन्द्र भट्ट
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आया मेरा 
         हरा- भरा सावन 
हर जगह है हरयाली 
हर जगह ताजी हवा
इस मौसम को देते हैं 
पशु- पक्षी भी दुआ
हर डाली पर पत्ते
हर कोनें पर हरी  घास
इसी की वजह से
बना है ये महीन सबका खास
नदी नालों की आवज 
दुर- दुर तक आती है
जमीन को पानी की 
कमी पूरी कर जाती है
शिव भक्त हो जाते हैं 
अपनी भक्ति में मस्त
सावन के सोमवार को
भीड़ होती है जबरदस्त
हे मेरे सावन सबको 
    झूला झुलाना
इन खुशी के पलों में अपनों
    की याद दिलाना
हर माँ बाप की कदर कराना
हर एक के दिल मे उनके लिए
     जगह बनाना 
उनकी हर मेहनत को
     सफल बनाना
दुर ही सही पर उनकी
 दुआ  बनाए रखना
हे मेरे हरे- भरे सावन. ..🌴🌱🌿🍀🌾💐🌺🌸🌼🌻🥀🌹🌷🎋🍃🍂🍁🍄🙏🙏पं उपेन्द्र भट्ट

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