चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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स्वस्थ रहने के अनमोल सूत्र

*स्वस्थ रहने के अनमोल सूत्र* :- 

  1. खाना खाने के १.३० घंटे बाद पानी पीना चाहिए।
  2. पानी घूँट घूँट करके पीना चाहिए, जिससे अपनी मुँह की लार पानी के साथ मिलकर पेट में जा सके, पेट में एसिड बनता है और मुँह में छार, दोनो पेट में बराबर मिल जाए तो कोई रोग पास नहीं आता है।
  3. पानी कभी भी ठंडा (फ्रिज का) नहीं पीना चाहिए।
  4. सुबह उठते ही बिना कुल्ला किए २-३ गिलास पानी पीना चाहिए, रात भर जो अपने मुँह में लार है वो अमूल्य है उसको पेट में ही जाना ही चाहिए।
  5.   खाना, जितने हमारे मुँह में दाँत है उतनी बार ही चबाना चाहिए।
  6. खाना जमीन में पालथी मुद्रा या उखड़ूँ बैठकर ही खाना चाहिए।
  7. खाने की सूची में एक दूसरे के विरोधी भोजन एक साथ नहीं रखना चाहिए। जैसे दूध के साथ दही, प्याज के साथ दूध, दही के साथ उड़द दाल।
  8. समुद्री नमक की जगह सेंधा नमक या काला नमक खाना चाहिए।
  9. रिफाइन तेल, डालडा जहर है, इसकी जगह अपने इलाके के अनुसार सरसों, तिल, मूँगफली, नारियल का तेल उपयोग में लाना चाहिए।
  10. दोपहर के भोजन के बाद कम से कम ३० मिनट आराम करना चाहिए और शाम के भोजन बाद ५०० कदम पैदल चलना चाहिए।
  11. घर में चीनी (शुगर ) का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि चीनी को सफेद करने में १७ तरह के जहर (केमिकल) मिलाने पड़ते हैं। इसकी जगह गुड़ का उपयोग करना चाहिए और आजकल गुड़ बनाने में कॉस्टिक सोडा मिलाकर गुड़ को सफेद किया जाता है इसलिए सफेद गुड़ नहीं खाना चाहिए। प्राकृतिक गुड़ ही खाना चाहिए। प्राकृतिक गुड़ चॉकलेट कलर का होता है।
  12. सोते समय हमारा सिर पूर्व या दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए।   
  13. घर में कोई भी अलूमिनियम के बर्तन, कुकर नहीं होना चाहिए। हमारे बर्तन मिट्टी, पीतल, लोहा, काँसा के होने चाहिए।
  14. दोपहर का भोजन ११ बजे तक एवं शाम का भोजन सूर्यास्त तक हो जाना चाहिए।
  15. सुबह के समय तक हमें देशी गाय के दूध से बनी छाछ (सेंधा नमक और जीरा बिना भुना हुआ मिलाकर) पीना चाहिए।   
  16. यदि हम उपरोक्त नियम अपने जीवन में लागू कर लेंगे तो हमें डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और देश के ८ लाख करोड़ की बचत होगी। यदि हम बीमार हैं तो उपरोक्त नियमों का पालन करके पूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकते हैं।

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