चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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गोल्डेन बैल्स स्कूल में मनाया गुरू नानक देव जी का प्रकाश पर्व

श्री गुरू नानक देव जी का 550 वें प्रकाश पर्व को लेकर गोल्डेन बैल्स पब्लिक स्कूल में एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके स्टूडेंटस की ओर से शबद कीर्तन किया गया। प्रकाश पर्व को लेकर स्टूडेंटस में काफी उत्साह और खुशी थी। स्कूल के छोटे बच्चे गुरुद्वारा साहिब में नतमस्तक होने गए। स्कूल में गुरु जी के जीवन तथा शिक्षाओं की जानकारी छात्रों तथा अध्यापकों की ओर से दी गई। सुबह श्री जपुजी साहिब का पाठ तथा कीर्तन किया गया। इसके उपरांत लंगर का आयोजन भी किया गया। जिसमे प्रबंधक कमेटी, अध्यापकों तथा छात्रों ने पूर्ण सहयोग दिया I छात्रों ने गुरु जी की मुख्य शिक्षा कीरत करो , नाम जपो , वंड के छको को अपने जीवन में अपनाने का प्रण लिया गया। स्कूल के चेयरमैन सी.एस बावा ने सभी को गुरुपूर्व की शुभकामनाएं दी तथा गुरु जी के जीवन की शिक्षाओं को जीवन में अपनाने के लिए कहा।

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