Martyrdom of Sri Guru Tegh Bahadur

हिंदू धर्म के रक्षक श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत से एक दिन पहले उन्हें डराने के लिए चांदनी चौंक में उनके सिख भाई मति दास जी को आरे से दो टुकड़े कर दिए गए,भाई सती दस जी को रुई में लपेट जिंदा जलाया गया, भाई दयाल जी को देग में उबाल कर शहीद किया गया। उनकी शहादत को बारम्बार प्रणाम 

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ब्रेन-हेमरेज, ब्रेन-स्ट्रोक (मस्तिष्क आघात)

ब्रेन-हेमरेज, ब्रेन-स्ट्रोक (मस्तिष्क आघात) अर्थात दिमाग़ की नस का फटना।
मस्तिष्क आघात के मरीज़ को कैसे पहचानें?

एक पार्टी चल रही थी, एक महिला को थोड़ी ठोकर सी लगी और वह गिरते गिरते संभल गई, मगर उसने अपने आसपास के लोगों को यह कह कर आश्वस्त कर दिया कि -"सब कुछ ठीक है, बस नये बूट की वजह से एक ईंट से थोड़ी ठोकर लग गई थी" । 
(यद्यपि आसपास के लोगों ने ऐम्बुलैंस बुलाने की पेशकश भी की...)
साथ में खड़े मित्रों ने उन्हें साफ़ होने में मदद की और एक नई प्लेट भी आ गई! ऐसा लग रहा था कि महिला थोड़ा अपने आप में सहज नहीं है! उस समय तो वह पूरी शाम पार्टी एन्जॉय करती रहीं, पर बाद में उसके पति का लोगों के पास फोन आया कि उसे अस्पताल में ले जाया गया जहाँ उसने उसी शाम दम तोड़ दिया!!
दरअसल उस पार्टी के दौरान महिला को ब्रेन-हैमरेज हुआ था! 
अगर वहाँ पर मौजूद लोगों में से कोई इस अवस्था की पहचान कर पाता तो आज वो महिला हमारे बीच जीवित होती..!!
माना कि ब्रेन-हैमरेज से कुछ लोग मरते नहीं है, लेकिन वे सारी उम्र के लिये अपाहिज़ और बेबसी वाला जीवन जीने पर मजबूर तो हो ही जाते हैं!!
स्ट्रोक की पहचान-
बामुश्किल एक मिनट का समय लगेगा, 

आईए जानते हैं-

न्यूरोलॉजिस्ट कहते हैं- 
अगर कोई व्यक्ति ब्रेन में स्ट्रोक लगने के, तीन घंटे के अंदर, अगर उनके पास पहुँच जाए तो स्ट्रोक के प्रभाव को पूरी तरह से समाप्त (reverse) किया जा सकता है। 
उनका मानना है कि सारी की सारी ट्रिक बस यही है कि कैसे भी स्ट्रोक के लक्षणों की तुरंत पहचान होकर, मरीज़ को जल्द से जल्द (यानि तीन घंटे के अंदर-अंदर) डाक्टरी चिकित्सा मुहैया हो सके, और बस दुःख इस बात का ही है कि अज्ञानतावश यह सब ही execute नहीं हो पाता है!!!

मस्तिष्क के चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार स्ट्रोक के मरीज़ की पहचान के लिए तीन अतिमहत्वपूर्ण बातें जिन्हें वे STR कहते हैं, सदैव ध्यान में रखनी चाहिए। 

अगर STR नामक ये तीन बातें हमें मालूम हों तो मरीज़ के बहुमूल्य जीवन को बचाया जा सकता है।

ये 3 बातें इस प्रकार हैं-

1) S = Smile अर्थात उस व्यक्ति को मुस्कुराने के लिये कहिए।

2) T = Talk यानि उस व्यक्ति को कोई भी सीधा सा एक वाक्य बोलने के लिये कहें, जैसे- 'आज मौसम बहुत अच्छा है' आदि।
और तीसरा...

3) R = Raise अर्थात उस व्यक्ति को उसके दोनों बाजू ऊपर उठाने के लिए कहें।

अगर उस व्यक्ति को उपरोक्त तीन कामों में से एक भी काम करने में दिक्कत है, तो तुरंत ऐम्बुलैंस बुलाकर उसे न्यूरो-चिकित्सक के अस्पताल में शिफ्ट करें और जो आदमी साथ जा रहा है उसे इन लक्षणों के बारे में बता दें ताकि वह पहले से ही डाक्टर को इस बाबत खुलासा कर सके।
इनके अलावा स्ट्रोक का एक लक्षण यह भी है-

उस आदमी को अपनी जीभ बाहर निकालने को कहें। अगर उसकी जीभ सीधी बाहर नहीं आकर, एक तरफ़ मुड़ सी रही है, तो यह भी ब्रेन-स्ट्रोक का एक प्रमुख लक्षण है।

एक सुप्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट का कहना है कि अगर इस मैसेज़ को पढ़ने वाला, इसे ज्यादा नही तो आगे, कम से कम अगर दस लोगों को भी भेजे, तो निश्चित तौर पर, कुछ न कुछ बेशकीमती "जानें" तो बचाई ही जा सकती हैं!!!
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समय गूंगा नहीं, बस मौन है!!
ये तो वक्त ही बताता है, कि किसका कौन है??
🙏🌹🤝🌹🙏

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