चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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फोर्टिस मोहाली में कमांडो सर्जरी से बचाई गई कैंसर मरीज की जान

मनिमल ब्लड लॉस, दर्दरहित क्विक रिकवरी और नीट एस्थेटिक स्कॉर्स के साथ एक सावधानीपूर्वक की गई सर्जरी की बेहतरील पहचान हैं



मोहाली, 16 जुलाई, 2020: फोर्टिस अस्पताल, मोहाली में डॉक्टरों की एक टीम ने हाल ही में एक मरीज के मुंह के अंदर एक एडवांस्ड घातक ट्यूमर का इलाज करने के लिए एक अनोखी और जटिल कमांडो सर्जरी की। सावधानीपूर्वक जांच और रोग की अच्छी तरह से पहचान के बाद, मरीज को कमांडो सर्जरी; यानी कंबाइंडमैंडिब्यूलेटोमी और नेक डिसेक्शन ऑपरेशन, के लिए ले जाया गया। इस जटिल प्रक्रिया का सफल संचालन डॉ.(ब्रिगेडियर) रजनीश तलवार, एडीशनल डायरेक्टर, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस अस्पताल, मोहाली द्वारा किया गया।
 
मेवा सिंह , 85 वर्षीय करनाल निवासी व्यक्ति के गले में सूजन के साथ जीभ के नीचे घाव न भरने की शिकायत थी। डॉ. (ब्रिगेडियर) तलवार द्वारा उनकी सावधानीपूर्वक जांच की गई, जिन्होंने निष्कर्ष निकाला कि रोगी की स्थिति लगातार  बिगड़ती जा रही थी और उस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता थी। ट्यूमर बोर्ड में सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श और चर्चा के बाद, कमांडो सर्जरी के साथ एक विस्तृत उपचार योजना शुरू की गई।

कमांडो सर्जरी एक जटिल ऑपरेशन है जो ओरल कैविटी के इलाज के लिए लोको-रीजनली एडवांस्ड मैलिगेंसी के तौर पर की जाती है। इस मामले में इसमें ग्लॉक्टेक्टॉमी (जीभ के सम्मिलित हिस्से को हटाना), मैंडिब्यूलेटोमी (रोग से प्रभावित जबड़े को हटाना), सर्जिकल डिफेक्ट की आवश्यक रिपेयर के साथ सभी गर्दन के नोड्स के ब्लॉक डिसेक्शन को शामिल किया गया ताकि यह रोगियों की कार्यात्मक क्षमताओं को बहाल किया जा सके। इसके साथ ही वह वापिस अपनी सामान्य स्थिति को प्राप्त कर सके। इस ऑपरेशन को इसकी जटिलता और एक्सटेंसिव नेचर के कारण ये नाम दिया गया है।

इस केस के सभी सफल प्रोसीजर को पूरा करने के बारे में बात करते हुए, डॉ.(ब्रिगेडियर) रजनीश तलवार ने कहा कि ‘‘सर्जरी से पहले विस्तृत जांच के बाद हमें पता चला कि यह बीमारी उनकी जीभ से उनकी गर्दन तक फैल गई थी, जिससे मैंने अनुमान लगाया कि अभी पूरा प्रोसीजर नहीं किया गया तो मरीज की स्थिति और भी खराब हो सकती है। मरीज के शरीर में अगर किसी भी कैंसर को ऐसे ही छोड़ दिया जाता है तो ये उसके लिए घातक साबित हो सकता है। इस विशेष मामले में, रोगी कई सारी समस्याओं से एक साथ प्रभावित था, जो अपने कैंसर के ऑपरेशन के लिए सही जगह और सर्जन की तलाश में 3 महीने से अधिक समय बर्बाद कर चुका था। इसलिए, हमने फोर्टिस अस्पताल मोहाली में अपनी ओपीडी में अपनी रिपोर्टिंग के एक सप्ताह के भीतर ही उसकी सर्जरी की। उनकी सर्जरी काफी अच्छी तरह से सफल रही है। उनकी पोस्ट ऑपरेटिव रिकवरी काफी तेज और दर्द रहित थी, और उनके पास काफी हद तक सामान्य तौर पर बोलने की क्षमता है और चेहरे पर कोई असामान्य निशान आदि भी नहीं है। वह पहले दिन ही सर्जरी के बाद मुंह से खाना ले रहे थे और सर्जरी के पांच दिनों के अंदर ही उनको छुट्टी दे दी गई थी।’’

श्री मेवा सिंह का कहना है कि ‘‘मुझे अपनी गर्दन के किनारे बहुत दर्दनाक फोड़े के कारण दर्द होता था, जिसे बाद में जीभ और गर्दन के कैंसर के रूप में पहचाना गया। फोर्टिस अस्पताल, मोहाली में डॉ. तलवार और उनकी टीम के प्रयासों के लिए धन्यवाद, जिनके सफल प्रयासों से अब मैं एक दर्द मुक्त, तनाव मुक्त जीवन जी रहा हूं।’’

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