चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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सुखना लेक का जलस्तर खतरे के पार पहुँचने पर खोले फ्लड गेट

 


लगातार तीन दिन से हो रही भारी बारिश ने सुखना लेक का जलस्तर 1163 फ़ीट के खतरे के निशाँ को भी पार कर दिया जिसके कारण सुखना के फ्लड गेट खोलने पड़े। करीब सुबह तीन बजे सुखना का जलस्तर काफी बढ़ गया और फ्लड गेट खोलने पर आसपास के कई क्षेत्रों में भारी मात्रा में पानी भर गया।

फ्लड गेट खुलते ही किशनगढ़, खुड्डा लाहौरा, आईटी पार्क और बलटाना स्थित क्षेत्र के लोगो को काफी नुकसान झेलना पड़ा। जलस्तर बढ़ने पर बलटाना पार्क के पास गंदा नाला भरे जाने पर बलटाना का पार्क, पुलिस चौकी और आसपास का कुछ क्षेत्र पानी में डूब गया।



सूखना लेक का फ्लड गेट खुलते ही लोग सहम गये। बलटाना पार्क के बाहर खड़ी गाड़ियाँ भी पानी में तैरती नज़र आयी और आसपास क्षेत्र के कुछ लोग अपना सामान इकठा कर पैदल ही चलते दिखाई दिये। जिसको देखते हुए आसपास के लोग इकठा हो गये।

इस से पहले सितम्बर 2018 में फ्लड गेट खोले गए थे। दस साल पहले यानि 2008 में भी भारी बारिश के चलते सुखना लेक के फ्लड गेट खोलने पड़े थे।

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