चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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कुत्ते की वफादारी से मालिक की कैसे बची जान


 


जयपुर। कहते हैं कि जानवर से ज्यादा वफादार इंसान भी नहीं होता है ऐसा कई बार बार सामने भी आया है, कभी हकीकत में तो कभी फिल्मों में यह सब दिखाया भी गया है लेकिन जोधपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एक कुत्ते ने अपनी जान की बाज़ी लगा कर अपने मालिक की जान बचाई है।
 
कहने और सुनने में जितना आपको अजीब और हैरान करने वाला लगे उतना ही बड़ा सच है कि जोधपुर के चौपासनी इलाके में रहने वाले साउंड व्यवसायी अनिल पंवार के घर पर अचानक कोबरा सांप आ गया। जिसकी भनक अनिल पंवार को नहीं लगी मगर उनके घर में ग्रेट डेन नस्ल के डोरा व गब्बर नामक कुत्ते को लग गई, पहले तो दोनों कुत्ते जोर-जोर से भोंकने लगे लेकिन अनिल पंवार ने यही सोचा कि यदि कोई आया होगा तो बैल बजा देगा और वैसे भी कुत्तों में भौंकने की आदत होती है। कुछ देर बाद जब अनिल पंवार ने अपने कमरे के बाहर देखा कि कोबरा सांप के दो टुकड़े किए हुए पड़े हैं और वह लहूलुहान हालत में है।


सीसीटीवी फुटेज में दिखा पूरा घटनाक्रम:
यह सारा नजारा देखते ही सीधे अनिल पंवार ने अपने पालतू कुत्तों को आवाज लगाई और दूसरे परिसर में जाकर देखा तो वहां डोरा नामक कुत्ता मौत के मुंह में जा चुका था मुंह में से आए झाग सारी दास्तान बता रहे थे। पूरे परिवार के सदस्यों ने विधि विधान से इस कुत्ते का अंतिम संस्कार किया। बाद में जब घर के सीसीटीवी फुटेज देखे गए तो माजरा सामने आया कि बहुत देर तक उनके दोनों कुतों गब्बर और डोरा ने  कोबरा के साथ संघर्ष किया और बाद में आखिरकार सांप को मार गिराया और उसी दौरान जहर की पोटली के मुंह में आ जाने के कारण डोरा की जान चली गई। अनिल पंवार और उनका पूरा परिवार सदमे में है उनको लंबे समय से कुत्तों को पालने का शौक है मगर परिवार का कोई सदस्य जान बचाते हुए इस तरह दुनिया को अलविदा कह जाए तो जो इस परिवार पर गुजर रही है वह शब्दों में भी विवेचित नहीं की जा सकती।

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