चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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विजय दिवस : बांग्लादेश का पाकिस्तान से आज़ादी का दिन (1971 India and Pak War)

 


विजय दिवस : 16 दिसंबर 1971 का इतिहास, बांग्लादेश का पाकिस्तान से आज़ादी का दिन 

भारत में 16 दिसंबर की तारीख विजय दिवस (Vijay Diwas) के रूप में मनाई जाती है. आज ही के दिन साल 1971 में भारत-पाक युद्ध (1971 India and Pak War) के दौरान 16 दिसंबर को ही भारत ने पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी. इस जीत को पूरा देश विजय दिवस के रूप में मनाता है.

साल 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त मिली थी. 16 दिसंबर 1971 को ढाका मेम 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण किया था. 12 से 13 दिन तक चले इस युद्ध में हजारों भारतीय जवान शहीद हुए थे.

भारत-पाक के 1971 युद्ध को भारत के सेना प्रमुख जनरल सैम मानेकशॉ ने नेतृत्व किया था. 16 दिसंबर को भारत ने पूरे बांग्लादेश पर और ढाका पर कब्जा कर लिया. इस तरह से 1971 के युद्ध में पाक की हार के बाद नए बांग्लादेश का जन्म हुआ.

 

 

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