चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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सिर्फ भूख लगने पर ही खाना चाहिए व बढ़ती उम्र के साथ कम मात्रा में खाएं -डॉ खादर

 सिर्फ भूख लगने  पर ही खाना चाहिए व बढ़ती उम्र के साथ कम मात्रा में खाएं -डॉ खादर




6 हफ्तों में आसानी से बढ़ सकती है इम्युनिटी , बचे रहेंगे सभी वायरल डिसीज से , लाइफ स्टाइल बदल कर ही हो पायेगा गुजारा 

करोना वायरस जैसे कई वायरस आते ही रहते हैं ,सरकार व वैज्ञानिकों को वैक्सीन या इलाज ढूंढने के साथ साथ सभी वारयस से लड़ने के अति आवश्यक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की जागरूकता पर ध्यान देना आवश्यक है , 

यु एस ए की करोना से बुरी  हालत अमेरिका के नागरिकों की कमजोर इम्युनिटी ही रही है। 
डॉ खादर वली ने  आज"  हेल्थी फ़ूड फार हेल्थी लाइफ "लाइव सेशन में पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर  डॉ एच के खरबंदा के साथ चण्डीगढ़वासियों से जुड़े हुए थे । 

मिलेट मैन आफ इंडिया डॉ खादर वली ने  चीनी ,चावल ,गेहूं, मांसाहार, डेयरी उत्पादों को त्याग कर मोटे अनाज यानी श्रीधान्य मिलेट्स अपनाने का संदेश दिया ।

डॉ खरबंदा के पूछने पर डॉ खादर ने सुबह सूर्य की पहली किरणों में सुर्य नमस्कार , सैर या फिर किरणों के बाद दिन की शुरुआत  कोडो की 500 एम एल अम्बली ,व घर का बना अचार  के साथ कर के किसी भी श्रीधान्य मिलेट के पुलाव , पोरिज या रोटी का सेवन करें , दिन भर छाछ, नारियल पानी , सलाद  या फल खा सकते हैं, शाम को फिर से मिलेट्स ले सकते है ।  खादर का कहना है कि सिर्फ भूख लगने  पर ही खाना चाहिए व बढ़ती उम्र के साथ कम मात्रा में खाएं । वहीं डॉ खरबंदा ने कहा कि गम्भीर से गम्भीर बीमारी से निजात पाने के लिए श्रीधान्य मिलेट्स के सेवन से 6 से 24 महीनों में सभी दवाओं से भी छुटकारा पा सकते हैं।

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