चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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डॉ. भीमराव अम्बेडकर पर शिक्षाविद् कुलदीप अग्निहोत्री द्वारा लिखित पुस्तक भेंट की : BR Ambedkar

 डॉ. भीमराव अम्बेडकर पर शिक्षाविद् कुलदीप अग्निहोत्री द्वारा लिखित पुस्तक भेंट की

 

 


चण्डीगढ़ : सप्त सिंधु डॉ. अम्बेडकर स्टडी सर्कल के अध्यक्ष देवेंदर सिंह ने पंजाब के चीफ़ इलेक्शन ऑफ़िसर डॉ. एस करुणा राजू से चण्डीगढ़ में शिष्टाचार भेंट के दौरान शिक्षाविद् कुलदीप अग्निहोत्री द्वारा भीमराव अम्बेडकर पर लिखित पुस्तक भेंट की। इस मौक़े पर करुणा राजू ने डॉ. अम्बेडकर के सामाजिकता के सिद्धांतों पर देवेंदर सिंह से चर्चा की। देवेंदर सिंह ने बताया की भविष्य में सप्त सिंधु डॉ. अम्बेडकर स्टडी सर्कल सभी वर्ग के लोगों में पहुँचकर डॉ. अम्बेडकर के सिद्धांतों पर विचार चर्चा  करेगा। इस मौक़े पर समिति के मेम्बर नरेश वैद और दिनेश दीक्षित भी उपस्थित थे।

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