चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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आओ गौरैया को किताबों की कहानी होने से बचाएं : World Sparrow Day

  आओ गौरैया को किताबों की कहानी होने से बचाएं

 बढ़ती आबादी और तेजी से बढ़ते तकनीकी युग में कुछ वर्षों पहले घर-आंगन में फुदकने वाली छोटी सी चिडि़या आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए मनुष्यों और अपने आसपास के वातावरण से काफ़ी जद्दोजहद कर रही है।  आज गौरैया को बचाना हम सबके लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। अगर हम आज नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं जब गौरैया की कहानी सिर्फ किताबों के पन्नों पर ही सुनने को मिलेगी।


पहली बार वर्ष 2010 में मनाया गया ‘विश्व गौरैया दिवस’ पूरी दुनिया में गौरैया के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने व इसके अस्तित्व पर छाए संकट के बादलों को कम करने के लिए हर साल 20 मार्च को ‘विश्व गौरैया दिवस’ मनाया जाता है।

लगभग विलुप्ति की कगार पर पहुंचे इस नन्हें परिंदे को बचाने के लिए विश्वभर में एक अभियान की शुरूआत हुई है देखना यह है कि हम इस नन्हीं चिड़िया को बचाने में कितना समर्थ होते है।

आओ हम भी मिलकर एक प्रयास करें अपने घर-आंगन व घर की छतों में एक कोना इसके दाना-पानी और घोसले के लिए सुरक्षित रख विलुप्ति की कगार पर पहुंचे इस परिंदे को  बचाने में अपना अमूल्य योगदान दे सकते हैं।

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