चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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संतोख अस्पताल ने मनाया नेशनल नर्सेस डे मनाया: Santokh Hospital - Multi-speciality Hospital Orthopaedic, Gyne, Paediatrics, Dialysis, ICU, Surgery Chandigarh

संतोख अस्पताल, सेक्टर 38 ने महामारी के दौरान नर्सों द्वारा सरहानीय के लिए करने के लिए नर्सेस डे दिवस मनाया। नर्सों ने हेल्थकेयर की दिशा में काफी योगदान दिया है ।

इस अवसर पर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसियेशन, सेक्टर 38ए और बी के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने नर्सिस को सम्मानित किया। भारत में हर साल 12 मई को नेशनल नर्सिस डे मनाया जाता है ताकि याद दिलाया जा सके कि नर्सें समाज की सुरक्षा और बेहतर स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं ।

संतोख अस्पताल में नर्सों द्वारा निभाई गई अमूल्य भूमिका अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉ कुलदीप सिंह संतोख ने कहा, हमारी नर्सों के असाधारण कौशल और धैर्य ने हमें कठिन समय को देखने में मदद की है । अपने स्वयं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए किसी भी चिंता के बिना रोगियों की मदद करने के लिए उनके दृढ़ संकल्प व दयालुता का एक सच्चा कार्य है जो कि केवल एक नर्स हो सकती है ।

 



 

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