चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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फोर्टिस अस्पताल मोहाली में 7वां एंडोवास्कुलर और अल्ट्रासाउंड-गाइडेड वेनस इंटरवेंशन कोर्स-2021 आयोजित किया गया: Fortis Hospital Mohali

फोर्टिस अस्पताल मोहाली में 7वां एंडोवास्कुलर और अल्ट्रासाउंड-गाइडेड वेनस इंटरवेंशन कोर्स-2021 आयोजित किया गया


मोहाली, 28 अगस्त, 2021: आज फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली ने वेनस एसोसिएशन ऑफ इंडिया (वीएआई) (वैस्कुलर सोसाइटी फॉर लिम्ब साल्वेज के संरक्षण में) के सहयोग से वैरिकाज नसों और उनके एडवांस ट्रीटमेंट विकल्पों के बारे में प्रबंधन पर एक हाइब्रिड (फिजिकल और वर्चुअल) स्किल बेस्ड वर्कशॉप का आयोजन किया। यह सेशन 7वें एंडोवास्कुलर और अल्ट्रासाउंड-निर्देशित वेनस इंटरवेंशन कोर्स-2021 (27 और 28 अगस्त को आयोजित) का एक हिस्सा था और इसका सफल नेतृत्व फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के वैस्कुलर सर्जरी के डायरेक्टर डॉ.रावुल जिंदल ने किया था।

इसमें शामिल होने वाले विदेशी प्रतिनिधियों में फ्रांस के प्रो. जीन फ्रैंकोइस, डॉ. जीन पैट्रिक बेनिग्नी और डॉ. पास्कल फिलोरी; इटली से डॉ. सर्जियो जियानसिनी; मिस्र से डॉ. वसीला ताहा; तुर्की से डॉ. सुआत डोगांसी और डॉ. अहमद कुरसैट बोज़कर्ट शामिल थे और यूके के डॉ. मार्क व्हाइटली ने ऑनलाइन लेक्चर दिया। राष्ट्रीय संकायों में डॉ.डी.बी. डेकीवाडिया, डॉ.आर पिंजला, डॉ.एम. पटेल, डॉ. एस.पडरिया, डॉ. आर.वर्गीस, डॉ. एच.एस. बेदी, डॉ. डी. सेल्वराज, डॉ. एस देसाई, डॉ. गुलशनजीत सिंह, डॉ. यूपी सिंह और डॉ लाडबंस कौर ने भी ऑनलाइन लेक्चर दिए। कोर्स में वैरिकाज वेनस सर्विस प्रदाताओं, सोनोग्राफरों और अन्य संबद्ध हेल्थ प्रोफेशनल्स ने भी भाग लिया।

फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के वैस्कुलर सर्जरी के डायरेक्टर डॉ.रावुल जिंदल ने कहा कि ‘‘दो दिवसीय कोर्स का उद्देश्य वैरिकाज नसों के लक्षणों, कारणों और उपचार विकल्पों के बारे में जागरूकता फैलाना था। कई बार रोग या बीमार होने की स्थिति से पीडि़त मरीजों के पैरों में फैली हुई नसें दिखाई देती हैं जो दर्द, सूजन, खुजली और रक्तस्राव का कारण बनती हैं। कुछ रोगियों को पैर में त्वचा पिगमेंटेशन और अल्सरेशन का भी अनुभव होता है। वैरिकाज नसों का डायग्नोस क्लीनिकल जांच और डुप्लेक्स अल्ट्रासाउंड के माध्यम से किया जाता है; और इन नसों को अलग करने के लिए विभिन्न प्रक्रियाएं हैं।

उन्होंने आगे कहा कि ‘‘सभी प्रतिनिधियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने, वेनस अल्ट्रासाउंड फिजिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन, वेनस लोअर एक्स्ट्रीमिटी अल्ट्रासाउंड मूल्यांकन, वेनस ऑब्लेशन प्रोसीजर्स की मैपिंग और वेनस रोगों के प्रबंधन के बारे में उनकी समझ को बढ़ाने के लिए 20 से अधिक केसेज का संचालन किया गया। कोर्स में वस्र्कुलर अल्ट्रासाउंड थ्योरी और मॉडल और रोगियों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल था। इसके साथ ही आईजेवी/फेमोरल वेन/पोपलाइटल वेन/फीमोरल आर्टरी/एक्सिलरी वेन/लॉन्ग सैफेनस वेन और शॉर्ट सैफेनस वेन का यूएसजी गाइडेड पंचर; चिकित्सा स्टॉकिंग्स और फोर-लेयर कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स; ईवीएलटी/आरएफ/फोम स्क्लेरोथेरेपी के लाइव प्रदर्शन के साथ वैरिकाज नसों के एडवांस ट्रीटमेंट का व्यावहारिक प्रशिक्षण; डीवीटी थ्रोम्बोलिसिस और आईवीसी फिल्टर के लाइव प्रदर्शन; कॉस्मेटिक वैरिकाज नसों का उपचार; स्टेम सेल और पीआरपी थेरेपी, वैरिकाज वेन (एमओसीए) के मैकेनिकल केमिकल एब्लेशन, ग्लू तकनीक और अन्य नवीनतम प्रक्रियाओं का लाइव प्रदर्शन भी किया गया।

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