चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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Hunar Haat 2022, Sector 17, Chadnigarh चंडीगढ़ में चल रहे हुनर हाट मेले में 31 राज्यों के 720 से अधिक हुनरबाजों ने लगाई उत्पादों की प्रदर्शनी

चंडीगढ़ में चल रहे हुनर हाट मेले में 31 राज्यों के 720 से अधिक हुनरबाजों ने लगाई उत्पादों की प्रदर्शनी

 


 


इसबार मेले का आयोजन चंडीगढ़ सेक्टर-17 के परेड ग्राउंड में किया जा रहा है. मेले में करीब 360 स्टाल लगाए गए हैं, जिसमें से 300 स्टाल शिल्पकारों और दस्तकारों के लिए हैं, जबकि 60 स्टाल फूड कोर्ट में लगाए गए हैं. यहां आने वाले वेजिटेरियन और नॉन वेजिटेरियन खाना पसंद करने वालों का भी खास ख्याल रखा गया है और इसी के लिए अलग-अलग फूड कोर्ट बनाए गए हैं. वेजिटेरियन फूड कोर्ट को गांव की थीम पर बनाया गया है, जिसमें हर स्टाल में अलग-अलग राज्य के फूड आइटम होंगे, ताकि लोग अलग-अलग राज्यों में खाए जाने वाले व्यंजनों का लुफ्त उठा सकें. जैसे राजस्थान के स्टाल में दाल बाटी चूरमा, गुजरात के स्टाल में फाफड़ा-जलेबी, दक्षिण भारतीय राज्यों के स्टाल में इडली-डोसा एवं उत्तर प्रदेश के स्टाल में बिरयानी सहित अन्य स्वादवादु व्यंजन मिलेंगे.

हुनर हाट में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से आने वाले कलाकारों के आने-जाने, रहने और खाने का इंतजाम भी केंद्र सरकार की ओर से किया जाता है. इतना ही नहीं हर स्टाल मालिक को सरकार की ओर से प्रतिदिन 1 हजार रूपए भी दिए जाते हैं. इस मेले में चंडीगढ़ के लोगों को न सिर्फ अलग-अलग राज्यों के शिल्पकार द्वारा बनाए गए सामान को खरीदने का मौका मिलेगा, बल्कि एक ही स्थान पर विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को चखने का भी एक अलग तरह का अनुभव होगा. यह मेला, 25 मार्च से 3 अप्रैल तक आयोजित किया जाएगा.

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