चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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26 जनवरी ही वह दिन है जब हम पूर्ण रूप से गणतंत्र हुए थे इस दिन हमें अपने कानूनी किताब संविधान प्राप्त हुई थी: 26 January 1950, Republic Day

 


 

"देशभक्तों के बलिदानों से
आजाद हुए हैं हम
  कोई कहे कौन हो तुम
 तो गर्व से कहेंगे
    भारतीय हैं हम"


प्रस्तावना

26 जनवरी को मनाया जाने वाला भारतीय गणतंत्र दिवस वह दिन है जब इसी दिन सन 1950 में हमारे देश का संविधान प्रभाव में आया गणतंत्र दिवस का दिन भारत के 3 राष्ट्रीय पर्वों में से एक है यही कारण है कि इसे हर जाति तथा संप्रदाय द्वारा काफी   सम्मान और उत्साह के साथ मनाया जाता है यह पर लोकतंत्रात्मक गणराज्य होने के महत्व को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है इस दिन को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय अवकाश के रूप में घोषित किया जाता है इस दिन पूरे देश में सभी स्कूलों तथा अन्य शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है

हमारा देश लोकतांत्रिक गणराज्य है किसी भी देश के लिए उसकी आजादी का दिन सबसे खास होता है और यह तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब बात उसके संविधान की हो हमारे तीन राष्ट्रीय पर्व हैं 26 जनवरी 15 अगस्त और 2 अक्टूबर जिन्हें हम गणतंत्र दिवस स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं यह तीनों दिवस अपने आप में बहुत खास हैं 26 जनवरी ही वह दिन है जब हम पूर्ण रूप से गणतंत्र हुए थे इस दिन हमें अपने कानूनी किताब संविधान प्राप्त हुई थी

26 जनवरी की परेड


"सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा"
यह गीत कानों में पढ़ते ही मन प्रफुल्लित हो उठता है और सर गर्व से ऊंचा हो जाता है दिल्ली की परेड का आनंद लेने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं खासकर वह लोग जो देश से बाहर रहते हैं इसी बहाने देश से बाहर रह रहे लोगों को देश की कला संस्कृति के बारे में जाने का अवसर भी मिल जाता है

 


Article by Renu Sabir (Meenu Dhingra)
Content Writer

 

 

 

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