चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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बोधिसत्व बाबा साहेब की 67 वां महापरिनिर्वाण दिवस, बुद्धा पीस मार्च के रूप में मनाया गया

 





 

चंडीगढ़ 6 दिसंबर: बोधिसत्व बाबा साहेब की 67 वां महापरिनिर्वाण दिवस धम्मभूमि चंडीगढ़ में  बोधिसत्व बाबा साहेब की 67 वां महापरिनिर्वाण दिवस बुद्धा पीस मार्च के रूप में मनाया गया l बुद्धा पीस मार्च रामदरबार फेस  फेस -2 के श्री गुरु रविदास मंदिर से होते हुए फेस 1 के मार्किट एवं गलियों से होकर फेस 2 के गुरु रविदास मंदिर पर समापन हुआ l उसके बाद बुद्ध वंदना और सब्बसुख गाथा की गई और बाबा साहेब के महापरिनिर्वाण पर चर्चा  की गई l


  1. बोधी दिवस बौद्ध अवकाश है जो प्रतिवर्ष 8 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध, सिद्धार्थ गौतम (शाक्यमुनि), ने आत्मज्ञान का अनुभव किया था,[1] जिसे संस्कृत और पालि भाषा में बोधी के रूप में भी जाना जाता है। परंपरा के अनुसार, गौतम बुद्ध ने एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर मानव जीवन में दुखों के कारण का समाधान खोजने के लिए कई वर्षों तक ध्यान किया था।[2]

    संदर्भ


  2. "Buddhist Holidays". मूल से 2017-12-06 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-10-17.

  3. Life of Buddha

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