चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज के गद्दीनशीन होने के उपलक्ष्य में चंडीगढ़ पुरी पीठ परिषद ने हिन्दू राष्ट्र के रूप में मनाया

स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज के गद्दीनशीन होने के उपलक्ष्य में चंडीगढ़ पुरी पीठ परिषद ने हिन्दू राष्ट्र के रूप में मनाया

चंडीगढ़:-ऋग्वेदीयपूर्वाम्नाय पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगदगुरू शंकराचार्य अन्नतश्रीविभूषित स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज ने माघ शुक्ल षष्ठी को शंकराचार्य पद ग्रहण किया था। इस दिवस को हिन्दू राष्ट्र के रूप में मनाने के लिए पुरी पीठ परिषद चण्डीगढ़ द्वारा  सनातन धर्म मन्दिर सेक्टर 46 में दिनांक 15 फरवरी को सुबह 10 बजे रूद्राभिषेक का आयोजन किया गया। 
इस मौके पर मौजूद डॉक्टर अनु कांत गोयल ने कहा कि शंकराचार्य जी के हिन्दू राष्ट्र की रचना होगी सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित, सम्पन्न, सेवा परायण, स्वस्थ्य और सर्वहितपरद समाज की संरचना से।उन्होंने बताया कि उनका जीवन शंकराचार्य जी के प्रति पूरी निष्ठा से समर्पित है ।रुद्राभिषेक में डॉक्टर साहब के परिवार के अलावा शंकराचार्य जी के चण्डीगढ़ और पंजाब से आए सभी भक्त शामिल हुए जिनमें डी जी शर्मा, रमेश भारद्वाज, एडवोकेट संदीप शर्मा, तिलक राज, संदीप नागौरी, रामपाल शर्मा व एडवोकेट प्रदीप जुल्का विशिष्ट हैं । डॉक्टर्निकांत ने बताया कि शंकराचार्य हिंदू राष्ट्र के  संकल्प के प्रति पूरी तरह समर्पित है। रुद्राभिषेक में शामिल सभी लोगों ने धन्यवाद किया और कहा कि इस पूजा में शामिल होकर वह  पुण्य के भागी बने।बाद में लंगर का आयोजन प्रभु कृपा तक हुआ।

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