Martyrdom of Sri Guru Tegh Bahadur

हिंदू धर्म के रक्षक श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत से एक दिन पहले उन्हें डराने के लिए चांदनी चौंक में उनके सिख भाई मति दास जी को आरे से दो टुकड़े कर दिए गए,भाई सती दस जी को रुई में लपेट जिंदा जलाया गया, भाई दयाल जी को देग में उबाल कर शहीद किया गया। उनकी शहादत को बारम्बार प्रणाम 

News

माता हैं बांटती स्वप्न में संतानरूपी वरदान - संतानदात्री मां सिमसा का इतिहास

माता हैं बांटती स्वप्न में संतानरूपी वरदान - संतानदात्री मां सिमसा का इतिहास

 लडभड़ोल: लडभड़ोल क्षेत्र की प्रसिद्ध संतानदात्री मां सिमसा का मंदिर मंडी जिला की तहसील मुख्यालय लडभड़ोल से मात्र 9 किलोमीटर दूरी पर सिमस गांव में स्थित है, जो बैजनाथ मंदिर से 32 किलोमीटर दूर है। माता सिमसा का मंदिर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जहां से दूर-दूर तक सुंदर नजारा देखने को मिलता है। बताया जाता है कि इस गांव में टोभा सिंह नामक व्यक्ति रहता था। महाशिवरात्रि वाले दिन वह तरड़ी (कंदमूल) खोदने के लिए अपने घर से करीब 3 किलोमीटर दूर नागण नामक स्थान पर गया। उसकी पहली चोट जमीन पर मारने से दूध बाहर निकल आया। यह देखकर वह बहुत प्रसन्न हुआ। उसने सोचा कि तरड़ी (कंदमूल)अच्छी है और अधिक मात्रा में निकलेगी। जब उसने दूसरी चोट मारी तो जमीन से पानी की धारा निकलने लगी और तीसरी चोट मारने पर जमीन से खून निकलने लग पड़ा, जिससे वह घबराया हुआ घर वापस आ गया। 

माता ने रात को स्वप्न में आकर दिए दर्शन
रात को उसे स्वप्न में माता ने दर्शन दिए और कहा कि जिस बात से तू घबराया है, मंै उसी को हल करने आई हूं। तू प्रात: नहाकर जहां खुदाई कर रहा था वहीं पर जाना। वहां पर खुदाई करने से तुझे एक मूर्ति मिलेगी। उस मूर्ति को पालकी में सजाकर धूमधाम से लाना और जहां पर वह मूर्ति भारी लगने लगे वहीं पर उसकी स्थापना कर मंदिर बनवाना। प्रात: उठते ही यह किस्सा उसने अपने भाइयों को सुनाया। मां के आदेशानुसार दोबारा खुदाई करने पर उन्हें देवी की मूर्ति मिली, जिसकी लंबाई 7 वर्ष की कन्या के बराबर थी। यह मूर्ति आज भी मंदिर में मौजूद है। खुदाई के समय की 3 चोटें आज भी देखी जा सकती हैं।

माता हैं बांटती स्वप्न में संतानरूपी वरदान
मान्यता के अनुसार जिन भक्तों के यहां संतान नहीं होती है, वे नवरात्र में माता सिमसा के दर्शनों के लिए आते हैं। स्त्रियां जिन्हें संतान की चाह होती है, वे मंदिर के प्रांगण में अपना बिछौना बिछाकर सो जाती हैं। यह मां का चमत्कार है कि जब औरतें सो रही होती हैं तो नींद में मां सिमसा पूरे शृंगार में उन्हें दर्शन देकर आज्ञा अनुसार स्वप्न में फल बांटती हैं। जिस स्त्री को जैसा फल मिलता है, उसे वैसी ही संतान प्राप्त होती है। मान्यता के अनुसार एक बार सपना होने के बाद जो महिला फिर से सपने के लिए अपना बिछौना बिछाकर सो जाती है, उसे कुछ ही देर बाद चींटियों के काटने जैसा अहसास होने लगता है। यही नही, उसके शरीर पर लाल रंग के दाग भी उभरने लगते हैं। 

चैत्र नवरात्र महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा 
यहां हर वर्ष चैत्र व शरद नवरात्र के दौरान मेले लगते हैं और मेला कमेटी व युवक मंडल सिमस की ओर से भंडारे लगाए जाते हैं। इस साल भी यहां चैत्र नवरात्र महोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। बता दें कि इस बार चैत्र मास नवरात्र का आगाज 18 मार्च से हो रहा है, जिसके लिए मेला कमेटी व पुजारियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।

 चमत्कारिक चट्टान

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की लडभड़ोल तहसील के सिमस नामक खूबसूरत स्थान पर
सिमसा माता का मंदिर है। इस मंदिर से ठीक नीचे भरां गांव की ओर मार्ग पर एक साक्षात चमत्कारिक चट्टान बहुत प्रसिद्ध है । अगर आप इस चट्टान को दोनों हाथों से हिलाना चाहो तो यह नहीं हिलेगी और आप अपने हाथ की सबसे छोटी अंगुली से इसे बड़ी आसानी से हिला सकते हैं । इस विशाल चट्टान का सबसे छोटी अंगुली से हिल जाना एक बार तो आपको भी अचम्भे में डाल देगा। हिमाचल देवों की भूमि है । यहाँ ऐसी कई शक्तियां देखने को मिल जाती हैं । शायद सिमसा माता की महिमा से ही ये संभव होता है । हालाँकि सरकार की अनदेखी के कारण ऐसी चमत्कारिक चीजें उपेक्षित रह जाती हैं। इस स्थान को जाने के लिए भरां गांव से पक्का मार्ग बन जाता तो लोगों को सुविधा मिल सकती थी। जोगिन्दरनगर से यह स्थान 50 किलोमीटर और लडभड़ोल से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । आप भी कभी देखने आएं तो आपको त्रिवेणी महादेव का मंदिर भी यहाँ से नजदीक पड़ेगा ।

 

कैसे पहुंचें सिमसा माता मंदिर –

सिमसा माता मंदिर हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में स्थित है। यह मंदिर जिला कांगड़ा के बैजनाथ से मात्र 30 किलोमीटर दूर है। सिमसा माता मंदिर में आने के लिए बस मार्ग रेल मार्ग वह हवाई मार्ग से आ सकते हैं।

रेल मार्ग–अगर रेल मार्ग से आप सिमसा माता आना चाहते हैं तो पठानकोट स्टेशन में आपको आना पड़ेगा। पठानकोट से बैजनाथ 150 किलोमीटर दूर है। बैजनाथ के लिए पठानकोट से बस मिलती है वह छोटी ट्रेन भी चलती है ।पठानकोट स्टेशन एक ऐसे स्टेशन है जहां लगभग भारतवर्ष के हर एक प्रांत में ट्रेन आती है क्योंकि यह स्टेशन जम्मू कश्मीर को जोड़ता है।

बस मार्ग–अगर आप बस मार्ग से आना चाहते हैं तो दिल्ली कश्मीरी गेट (आई.एस.बी.टी) से बैजनाथ हिमाचल प्रदेश के लिए सरकारी व निजी बस से साधारण वह वोल्वो लगभग 30 बच्चे रोजाना शाम को चलती है जिससे कुछ सुबह भी चलती है। दिल्ली से बैजनाथ फिर बैजनाथ से सिमसा माता 30 किलोमीटर के लिए सीधी बस मिलती है।

हवाई मार्ग–अगर आप हवाई जहाज से यात्रा करना चाहते हैं तो धर्मशाला (गग्गल) सबसे नजदीक एयरपोर्ट है। प्रतिदिन दिल्ली से धर्मशाला के लिए दो प्लेन चलते हैं ।फिर धर्मशाला से मंदिर सिमसा माता 85 किलोमीटर दूर है।

अधिक जानकारी के लिए सिमसा माता पुजारी सुरेश कुमार व पुजारी विनोद कुमार से सीधे संपर्क दिए गए नंबरों पर कर सकते हैं।

पुजारी सुरेश कुमार 9817733370

Whatsapp No. 7018068262

पुजारी विनोद कुमार 9418631374

Whatsapp No. 8091762783

 

 

Comments