चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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पदक जीतने के बाद मनु भाकर का बड़ा बयान! "मैं रोज गीता पढ़ती थी, जब मैं फाइनल मैच के दौरान निशाना लगा रही थी तब मेरे दिमाग में गीता चल रहा था।" Paris Olympic, India

 मनु भाकर ने #पेरिस_ओलंपिक_2024 में रचा #इतिहास_के_पन्नों_में #पेरिस_ओलंपिक_2024 में भारत की बेटी मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल में जीता #कांस्य पदक। हार्दिक बधाई .....

 

 

"भगवद्गीता ने मुझे पदक तक पहुंचाया।" "मैंने भगवद्गीता को काफी पढ़ा है और इस महान गीता से मैंने बहुत कुछ सीखा है।" पदक जीतने के बाद मनु भाकर का बड़ा बयान! "मैं रोज गीता पढ़ती थी, जब मैं फाइनल मैच के दौरान निशाना लगा रही थी तब मेरे दिमाग में गीता चल रहा था।" गीता में कहा गया है, "परिणाम नहीं अपने कर्म पर फ़ोकस करें, तो मैंने वही सोचकर निशाना लगाया।"

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