Martyrdom of Sri Guru Tegh Bahadur

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सिराज मोहम्मद खान: 22 साल बाद वतन (पाकिस्तान ) लौटे, पर परिवार ने कहा काफिर

 सिराज मोहम्मद खान: 22 साल बाद वतन लौटे, पर परिवार ने कहा काफिर



पाकिस्तान के सिराज मोहम्मद खान की ज़िंदगी की कहानी एक दुखद मोड़ लेती है, जब वो महज 10 साल की उम्र में एक ग़लत ट्रेन में चढ़कर भारत पहुंच गए। यह घटना 1996 की है, जब सिराज, जो उस समय एक बच्चे थे, अनजाने में अपने वतन से दूर भारत आ गए। सिराज का परिवार इस बारे में कुछ भी नहीं जानता था, और उन्हें ढूंढने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं।

भारत में 22 साल का सफर

भारत पहुंचने के बाद सिराज ने अपने आप को नए माहौल में ढाल लिया। उन्होंने मुंबई में ज़िंदगी की शुरुआत की और वहां कई सालों तक रहे। भारत में रहकर उन्होंने साजिदा नाम की एक महिला से निकाह किया और अपनी नई ज़िंदगी की शुरुआत की। सिराज का मानना था कि उन्होंने अब अपनी नई पहचान और जीवन बना लिया है। लेकिन उनके दिल में अपने वतन पाकिस्तान लौटने की ख्वाहिश हमेशा जिंदा रही।

पाकिस्तान वापसी और परिवार का अस्वीकार

2018 में, करीब 22 साल बाद, सिराज पाकिस्तान लौटने में सफल रहे। लेकिन जिस परिवार से मिलने की उम्मीदें उन्होंने संजोई थीं, वही परिवार अब उनके लिए अनजान बन गया था। सिराज का परिवार उन्हें अपना नहीं पाया। उनकी भारतीय पत्नी के साथ निकाह और भारत में बिताए गए वर्षों को लेकर परिवार ने उन्हें "काफिर" कहकर अस्वीकार कर दिया। परिवार ने उनसे यह उम्मीद की कि वह अपनी भारतीय पत्नी को छोड़ दें, लेकिन सिराज के लिए यह मुमकिन नहीं था, क्योंकि उनके लिए साजिदा उनका जीवनसाथी थीं।

आज का संघर्ष

सिराज के लिए यह एक कठिन दौर है। वह अपने परिवार के पास लौट तो आए, लेकिन उनका मन अब भी सुकून की तलाश में है। परिवार द्वारा उन्हें अस्वीकार किया जाना उनके लिए बहुत बड़ा सदमा है। छह साल बीत जाने के बाद भी, सिराज अपने परिवार के साथ खुश नहीं हैं। उनके परिवार की शर्तें उनके लिए अस्वीकार्य हैं, और इस वजह से वह आंतरिक संघर्ष और सामाजिक अस्वीकृति का सामना कर रहे हैं।

सिराज मोहम्मद खान की कहानी उस दर्दनाक हकीकत को बयां करती है, जो एक इंसान को अपनी पहचान, रिश्तों और वतन के बीच फंसे होने की स्थिति में ला देती है।

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