चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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इज़राइल, हमास, हिज़बुल्ला: युद्ध का इतिहास

 इज़राइल, हमास, हिज़बुल्ला: युद्ध का इतिहास

 

1. इज़राइल का गठन और प्रारंभिक संघर्ष:

1948 में, इज़राइल का गठन हुआ, जिसके बाद से मध्य पूर्व में तनाव बढ़ने लगा। इज़राइल और उसके पड़ोसी अरब देशों के बीच 1948-49 में पहला अरब-इज़राइल युद्ध हुआ। यह युद्ध तब शुरू हुआ जब अरब देशों ने नए बने इज़राइल के खिलाफ सैन्य हमला किया। इसके बाद के दशकों में कई और युद्ध हुए, जैसे 1967 का "सिक्स-डे वॉर" और 1973 का "योम किप्पुर युद्ध"।

2. हमास (Hamas):

हमास का गठन 1987 में फिलिस्तीनी संगठन के रूप में हुआ था। हमास का उद्देश्य इज़राइल का उन्मूलन और एक इस्लामिक राज्य की स्थापना करना था। यह गाजा पट्टी और पश्चिमी किनारे में सक्रिय है। 2006 में हमास ने फिलिस्तीनी चुनाव में जीत हासिल की, जिसके बाद इज़राइल और पश्चिमी देशों ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया। हमास और इज़राइल के बीच कई संघर्ष हुए, विशेष रूप से 2008, 2012, 2014 और 2021 में।

  • मुख्य संघर्ष:
    • 2008-09 गाजा युद्ध: इज़राइल ने गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ सैन्य अभियान चलाया।
    • 2014 गाजा युद्ध: हमास और इज़राइल के बीच गंभीर टकराव हुआ, जिसमें भारी जनहानि हुई।

3. हिज़बुल्ला (Hezbollah):

हिज़बुल्ला एक शिया मुस्लिम संगठन है जिसका गठन 1980 के दशक में लेबनान में हुआ था। इसे ईरान का समर्थन प्राप्त है। हिज़बुल्ला का लक्ष्य इज़राइल को समाप्त करना और लेबनान में ईरानी प्रभाव को बढ़ावा देना है। हिज़बुल्ला ने 1982 के लेबनान में इज़राइली आक्रमण के जवाब में गुरिल्ला युद्ध की शुरुआत की। हिज़बुल्ला और इज़राइल के बीच 2006 में एक महत्वपूर्ण युद्ध हुआ, जिसे "2006 लेबनान युद्ध" के रूप में जाना जाता है।

  • मुख्य संघर्ष:
    • 2006 का लेबनान युद्ध: इस युद्ध में हिज़बुल्ला ने इज़राइल पर रॉकेट हमले किए, जिसके जवाब में इज़राइल ने लेबनान पर हमला किया।

4. इज़राइल-फिलिस्तीन विवाद और संघर्ष:

फिलिस्तीन और इज़राइल के बीच लंबे समय से ज़मीन और राजनैतिक अधिकारों को लेकर संघर्ष चल रहा है। फिलिस्तीनी लोग गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक को अपना मानते हैं, जबकि इज़राइल ने वहां पर बस्तियां बनाई हैं। इस संघर्ष में हमास की भूमिका मुख्य है, जो फिलिस्तीनी जनता के एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।

  • हाल के घटनाक्रम:
    • 2021 में, इज़राइल और हमास के बीच गाजा पट्टी को लेकर बड़ा संघर्ष हुआ, जिसमें दोनों तरफ से भारी बमबारी हुई।

5. अन्य संघर्ष और तनाव:

इज़राइल और उसके पड़ोसी देशों के बीच संघर्ष लगातार जारी रहा है। हिज़बुल्ला और हमास के अलावा, अन्य संगठन भी इज़राइल के खिलाफ संघर्ष में शामिल रहे हैं। इन संघर्षों में मुख्य मुद्दे ज़मीन, धार्मिक विवाद, और राजनैतिक नियंत्रण के हैं।

6. अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य:

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस संघर्ष को सुलझाने के लिए कई प्रयास कर चुका है, लेकिन अभी तक कोई स्थाई समाधान नहीं मिल सका है। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, और अन्य कई देशों ने इस विवाद को हल करने के लिए मध्यस्थता की है, लेकिन इज़राइल और फिलिस्तीनी संगठन के बीच असहमति बनी हुई है।

इस प्रकार, इज़राइल, हमास और हिज़बुल्ला के बीच चल रहे संघर्ष और उनकी युद्ध की एक लंबी और जटिल इतिहास है, जो मध्य पूर्व के भू-राजनीतिक संदर्भ में महत्वपूर्ण है।

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