चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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भारत के लिए एक और स्वर्ण पदक #सुमित_अंतिल ने जेवलिन थ्रो F64 स्पर्धा में 70.59 मीटर के नए पीआर के साथ स्वर्ण पदक जीता। Sumit Antil Paralympics

 
भारत के लिए एक और स्वर्ण पदक #सुमित_अंतिल ने जेवलिन थ्रो F64 स्पर्धा में 70.59 मीटर के नए पीआर के साथ स्वर्ण पदक जीता।
सुमित अंतिल के लिए लगातार दूसरा पैरालिंपिक स्वर्ण।टोक्यो पैरालिंपिक में जैवलिन थ्रो का गोल्ड जीतने वाले सुमित अंतिल ने पेरिस में भी गोल्ड मेडल जीत लिया है। उन्होंने पैरालिंपिक में अपना ही रिकॉर्ड तोड़कर दूसरे अटेम्प्ट में 70.59 मीटर दूर थ्रो फेंका। टोक्यो में उन्होंने 68.55 मीटर दूर थ्रो किया था। इसे उन्होंने पहले ही अटेम्प्ट में 69.11 मीटर दूर थ्रो फेंक कर पार कर दिया।

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