चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने न्याय की मूर्ति से आंखों की पट्टी और तलवार हटवाई

 मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने न्याय की मूर्ति से आंखों की पट्टी और तलवार हटवाई

 

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने हाल ही में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए न्याय की मूर्ति से आंखों की पट्टी और हाथ में पकड़ी तलवार को हटाने का सुझाव दिया। इस विचार के पीछे न्याय की निष्पक्षता और मानवीय दृष्टिकोण को प्रदर्शित करने की भावना है।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ का मानना है कि आंखों पर बंधी पट्टी से न्याय प्रक्रिया को सीमित और अंधा माना जाता है, जबकि न्याय में संवेदनशीलता और स्पष्ट दृष्टि की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही, उन्होंने न्याय की मूर्ति से तलवार हटाने की बात कही, जो शक्ति और दंड का प्रतीक मानी जाती है।

उनका कहना है कि न्याय केवल दंडित करने का नहीं, बल्कि समाज में संतुलन और मानवता का प्रतीक होना चाहिए। उनका यह कदम न्याय व्यवस्था में नए सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश माना जा रहा है।

इस फैसले के बाद न्यायिक व्यवस्था में निष्पक्षता, सहानुभूति और मानवता के मूल्यों को और अधिक प्रमुखता दी जाएगी।

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