भगवान विष्णु ने नारद मुनि की ली परीक्षा... भगवान विष्णु का सच्चा भक्त कौन है.... Bhagwan vishnu ne li narad ji ki pariksha

भगवान विष्णु ने नारद मुनि की ली परीक्षा... 

भगवान विष्णु का सच्चा भक्त कौन है



नारद मुनि, जो भगवान विष्णु के अनन्य भक्त और देवताओं के ऋषि माने जाते हैं, एक बार अपने भक्ति के विषय में गर्व करने लगे। वे सोचने लगे कि वे भगवान विष्णु के सबसे प्रिय और सच्चे भक्त हैं। अपनी इस भक्ति के प्रति गर्व का प्रदर्शन करते हुए नारद मुनि भगवान विष्णु के पास गए और उनसे पूछा, "हे प्रभु, इस पूरे संसार में आपके जितना कोई और सच्चा भक्त नहीं है। क्या यह सत्य नहीं है?"

भगवान विष्णु मुस्कराए और नारद जी की परीक्षा लेने का निश्चय किया। उन्होंने कहा, "नारद, तुम्हारी भक्ति में कोई संदेह नहीं है, परंतु इस पृथ्वी पर एक और भक्त है जो मुझसे अत्यधिक प्रेम करता है। क्या तुम उसे देखना चाहोगे?"

नारद मुनि इस बात पर अचंभित हुए और भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वे उन्हें उस भक्त के दर्शन कराएं।

भगवान विष्णु ने नारद जी को एक गांव की ओर भेजा, जहां एक साधारण किसान रहता था। भगवान विष्णु ने नारद मुनि से कहा, "यह किसान मेरा सच्चा भक्त है।" नारद मुनि ने देखा कि वह किसान सुबह उठता है, भगवान विष्णु का नाम लेकर अपनी प्रार्थना करता है, फिर पूरे दिन अपने खेत में काम करता है और रात में सोने से पहले फिर से भगवान का नाम लेता है। नारद मुनि को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ, क्योंकि उन्हें लगा कि एक साधारण किसान, जो केवल दिन में दो बार भगवान का नाम लेता है, कैसे भगवान का सच्चा भक्त हो सकता है?

नारद जी ने भगवान विष्णु से अपनी शंका व्यक्त की, तब भगवान विष्णु ने उनसे कहा, "नारद, मैं तुम्हें एक काम देता हूँ। एक जल से भरा घड़ा अपने सिर पर लेकर पूरे गांव का चक्कर लगाओ, लेकिन एक भी बूंद गिरनी नहीं चाहिए।"

नारद मुनि ने ऐसा ही किया। उन्होंने पूरे ध्यान और सावधानी के साथ घड़ा लेकर गांव का चक्कर लगाया और एक भी बूंद नहीं गिरने दी। चक्कर पूरा करने के बाद वे भगवान विष्णु के पास आए।

भगवान विष्णु ने उनसे पूछा, "नारद, तुमने चक्कर लगाते समय कितनी बार मेरा नाम लिया?"

नारद मुनि ने उत्तर दिया, "प्रभु, मैं एक बार भी आपका नाम नहीं ले पाया क्योंकि मेरा पूरा ध्यान घड़े पर था ताकि उससे पानी न गिरे।"

तब भगवान विष्णु ने कहा, "देखो नारद, वह किसान भी अपनी आजीविका के लिए सारा दिन कठिन परिश्रम करता है, लेकिन फिर भी वह दिन में कम से कम दो बार मेरा नाम लेना नहीं भूलता। वह अपने कठिन जीवन के बावजूद मुझे स्मरण करता है। इसी कारण वह मेरा सच्चा भक्त है।"

इस प्रकार भगवान विष्णु ने नारद मुनि को यह सिखाया कि सच्ची भक्ति केवल प्रार्थना और ध्यान में नहीं होती, बल्कि अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए भी भगवान को स्मरण करना ही सच्ची भक्ति है।

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