चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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देशवासियों को भगवान वाल्मीकि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं! Bhagwan Valmiki Jayanti

 देशवासियों को भगवान वाल्मीकि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं!


देशवासियों को भगवान वाल्मीकि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं!

भगवान वाल्मीकि, जिन्हें आदि कवि के रूप में जाना जाता है, ने महाकाव्य रामायण की रचना कर समाज को सत्य, धर्म और आदर्श जीवन के महत्वपूर्ण संदेश दिए। उनकी शिक्षा और उनके आदर्श आज भी हमें जीवन में सच्चाई, परोपकार और कर्तव्यपालन का मार्ग दिखाते हैं। इस पावन अवसर पर हम सभी उनके उपदेशों का पालन करें और समाज में सद्भाव, एकता और शांति का संचार करें।

भगवान वाल्मीकि जयंती आप सभी के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लेकर आए।

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