छठ पूजा की कथा, व्रत, और विधि : chatt puja ki katha, vart, vidthi

छठ पूजा की कथा, व्रत, और विधि छठ पूजा एक प्राचीन और महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है, जिसे विशेषकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देवता और छठी मईया को समर्पित होता है और यह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस पर्व में चार दिनों तक व्रत, उपवास और कठोर नियमों का पालन करते हुए सूर्य देवता की आराधना की जाती है, जिससे व्रतियों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। छठ पूजा की पौराणिक कथा छठ पूजा से जुड़ी कई कथाएं हैं, जिनमें से प्रमुख कथाएं इस प्रकार हैं: राम-सीता के प्रसंग से जुड़ी कथा ऐसा माना जाता है कि जब भगवान रामचंद्र वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो उन्होंने सीता माता के साथ मिलकर राज्य की सुख-शांति के लिए सूर्य देवता की पूजा की। उन्होंने कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन व्रत रखा और सप्तमी के दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। इसके बाद से यह परंपरा छठ पूजा के रूप में प्रचलित हो गई। कर्ण की कथा महाभारत के अनुसार, सूर्यपुत्र कर्ण प्रतिदिन सूर्य देवता की आराधना करते थे। वह सुबह के समय कमर तक जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य

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 घरेलू शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी, सेंसेक्स 80,000 अंक के नीचे

शुक्रवार, नई दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार को इस सप्ताह कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिससे निवेशकों की चिंताएं बढ़ गईं। शुक्रवार की शुरुआत में सेंसेक्स 80,000 अंक के नीचे चला गया, जो बाजार में गिरावट की गंभीर स्थिति का संकेत है। विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार के इस रुझान के पीछे विदेशी निवेशकों की निरंतर बिकवाली और दूसरी तिमाही की कमजोर कॉर्पोरेट आय जैसे कारक मुख्य कारण हैं।

इस गिरावट का प्रमुख कारण दूसरी तिमाही में कई कंपनियों की कमज़ोर वित्तीय प्रदर्शन को माना जा रहा है। वित्तीय क्षेत्र, मेटल्स और आईटी सहित विभिन्न सेक्टर्स में अपेक्षा के मुताबिक प्रदर्शन न होने के कारण निवेशकों का विश्वास डगमगा गया है। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने भी बाजार की स्थिति को बिगाड़ा है।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली का प्रभाव

पिछले कुछ हफ्तों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने घरेलू बाजार से बड़े पैमाने पर निकासी की है। अक्टूबर की शुरुआत से ही बाजार में बिकवाली का दबाव बना हुआ है, जिसके कारण निवेशकों का उत्साह भी कमजोर हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उथल-पुथल और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें बढ़ाए जाने की संभावनाओं के चलते विदेशी निवेशक भारत सहित अन्य उभरते बाजारों से पूंजी निकाल रहे हैं।

निवेशकों के लिए सुझाव

निवेशकों के बीच अनिश्चितता के इस दौर में विशेषज्ञों ने उन्हें संयम बनाए रखने का सुझाव दिया है। सलाह दी जा रही है कि दीर्घकालिक निवेश के दृष्टिकोण से बाजार में बने रहें और भावनात्मक निर्णय से बचें।

बाजार विश्लेषकों का मानना है कि इस गिरावट से बाजार को कुछ समय के लिए नुकसान हो सकता है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से बाजार में सुधार संभव है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि निवेशक गुणवत्ता वाली कंपनियों में निवेश करें, जिनकी बुनियादी आर्थिक स्थिति मजबूत है और जो दीर्घकालिक लाभ देने में सक्षम हैं।

निकट भविष्य में सुधार की उम्मीद?

कई विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार निकट भविष्य में स्थिर हो सकता है। हालांकि, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीति और वैश्विक आर्थिक स्थितियों पर बाजार की नजरें टिकी रहेंगी। वहीं, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और अगले तिमाही में अच्छे परिणाम की उम्मीद से बाजार में सकारात्मकता आ सकती है।

निष्कर्ष: इस गिरावट के बावजूद, भारतीय शेयर बाजार की दीर्घकालिक संभावनाएं अभी भी सकारात्मक मानी जा रही हैं। हालांकि, बाजार में इस समय निवेशक सतर्कता से काम कर रहे हैं और बाजार की बदलती स्थिति पर ध्यान दे रहे हैं।

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