जगतगुरु स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज का जन्मोत्सव: भारतीय अध्यात्म का एक उज्ज्वल पर्व

  जगतगुरु स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज का जन्मोत्सव: भारतीय अध्यात्म का एक उज्ज्वल पर्व भारत भूमि संतों, महात्माओं और ऋषियों की भूमि है, जिन्होंने अपनी आध्यात्मिक साधना और ज्ञान के माध्यम से मानवता को मार्गदर्शन प्रदान किया। ऐसे ही एक महान संत, जगतगुरु स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज, भारतीय वेदांत और सनातन धर्म के एक प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उनका जन्मोत्सव हर साल श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। जीवन परिचय स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी का जन्म 21 दिसंबर 1868 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) के पास एक छोटे से गाँव में हुआ। उनका बचपन का नाम राजाराम था। बाल्यकाल से ही वे साधारण जीवन और आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित थे। मात्र नौ वर्ष की आयु में उन्होंने घर-परिवार छोड़कर सन्यास की राह पकड़ ली। स्वामी जी ने अपने जीवन में अद्वितीय साधना और तपस्या के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त की। वे वेद, उपनिषद, गीता और अन्य धार्मिक ग्रंथों के ज्ञाता थे। 1941 में उन्हें ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य के रूप में नियुक्त किया गया। उनकी अध्यात्मिक नेतृत्व क्षमता ने उन्हें...

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CJI चंद्रचूड़ की न्यायप्रियता से मिला अनुसूचित जाति के छात्र अतुल को न्याय, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर IIT धनबाद में मिला प्रवेश

CJI चंद्रचूड़ की न्यायप्रियता से मिला अनुसूचित जाति के छात्र अतुल को न्याय, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर IIT धनबाद में मिला प्रवेश



 

उत्तर प्रदेश के एक होनहार छात्र अतुल की कहानी, जो आर्थिक कठिनाइयों और तकनीकी बाधाओं के कारण अपने भविष्य से लगभग हाथ धो बैठा था, अब देशभर में चर्चा का विषय बन गई है। अतुल ने कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद IIT एडवांस परीक्षा में सफलता हासिल की और उसे IIT धनबाद में दाखिला मिला। लेकिन फीस जमा करने के दौरान तकनीकी समस्या के चलते उसका दाखिला लगभग रद्द हो गया था।

अतुल के पिता मजदूरी करते हैं, और फीस जमा करने के लिए उन्हें कुछ समय की आवश्यकता थी। 17,500 रुपये की फीस भरने के प्रयास के बीच, कॉलेज की वेबसाइट पर फीस जमा करने का लिंक बंद हो गया, जिससे अतुल का IIT धनबाद में एडमिशन अधर में लटक गया। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अतुल और उसके परिवार के लिए यह एक कठिन परिस्थिति थी। इस स्थिति ने उन्हें न्याय की उम्मीद में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर मजबूर कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, "ऐसे युवा प्रतिभाशाली लड़कों को हम यूं ही नहीं जाने दे सकते।" उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए IIT धनबाद को अतुल का एडमिशन फिर से करने का आदेश दिया। यह फैसला अतुल के लिए जीवन बदलने वाला साबित हुआ।

अदालत में सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने अतुल को व्यक्तिगत रूप से प्रोत्साहित करते हुए कहा, "ऑल द बेस्ट, अच्छा करो।" उनके इस प्रेरणादायक संदेश ने अतुल की उम्मीदों को नई ऊंचाई दी और उसे एक नई शुरुआत दी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से न केवल अतुल, बल्कि पूरे देश में आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को प्रोत्साहन मिला है कि न्याय और अवसर की उम्मीद कभी नहीं छोड़नी चाहिए।

अतुल की इस कहानी से यह साफ होता है कि सही समय पर लिया गया निर्णय कैसे किसी की ज़िंदगी को बदल सकता है। अब अतुल को IIT धनबाद में प्रवेश मिल चुका है, और उसके भविष्य के दरवाजे फिर से खुल गए हैं। CJI चंद्रचूड़ का यह निर्णय न्यायपालिका के प्रति आम जनता के विश्वास को और मजबूत करता है, और छात्रों के लिए एक प्रेरणा बनकर सामने आता है।

यह खबर देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है, जहां आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को आगे बढ़ने का प्रोत्साहन मिला है।

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