Martyrdom of Sri Guru Tegh Bahadur

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धनतेरस: कथा, मान्यता और पूजा विधि : Dhanteras Bhagwan Dhanvantri

 धनतेरस: कथा, मान्यता और पूजा विधि

धनतेरस का पर्व दीपावली से दो दिन पहले, कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन धन और स्वास्थ्य की कामना के साथ माँ लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन सोना, चांदी या नए बर्तन खरीदने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

धनतेरस की कथा

धनतेरस से जुड़ी दो प्रमुख कथाएँ प्रचलित हैं। ये कथाएँ हमें न केवल इस पर्व का महत्व बताती हैं बल्कि हमारे जीवन में धन और स्वास्थ्य की भूमिका को भी उजागर करती हैं।


 

पहली कथा: राजा हेम और उनके पुत्र की कहानी

एक समय की बात है, राजा हेम के घर एक पुत्र का जन्म हुआ। लेकिन ज्योतिषियों ने यह भविष्यवाणी की कि राजा के पुत्र की मृत्यु विवाह के चौथे दिन सर्पदंश से होगी। राजा हेम और उनका परिवार इस बात से चिंतित हो गए।

जब विवाह का चौथा दिन आया, तब उनकी पत्नी ने अपने पति को जगाए रखने का प्रयास किया। उन्होंने घर के बाहर ढेर सारी सोने-चांदी की मुद्राएँ और गहने रख दिए और दीपक जलाकर पूरे घर को रोशनी से भर दिया ताकि सर्प को भ्रम हो।

उस रात जब यमराज सर्प का रूप धारण करके आए, तो उन्होंने गहनों और दीपों की रोशनी को देखा और पुत्र के कमरे तक नहीं पहुँच सके। परिणामस्वरूप, वह पुत्र सुरक्षित रहा और यमराज लौट गए। तब से, धनतेरस को दीप जलाकर और गहनों की खरीददारी कर मनाने की परंपरा आरंभ हुई।

दूसरी कथा: समुद्र मंथन और भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति

समुद्र मंथन के दौरान अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और दानवों ने समुद्र का मंथन किया था। मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए। वे देवताओं के वैद्य और आयुर्वेद के प्रवर्तक माने जाते हैं। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने का यह दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है।

भगवान धन्वंतरि का जन्म स्वास्थ्य और आयुर्वेद के महत्व को समझाने के लिए हुआ था। उनके पूजन से स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

धनतेरस पर पूजा विधि

  1. स्नान और स्वच्छता:
    धनतेरस के दिन सबसे पहले घर की सफाई और सजावट की जाती है। इसके बाद स्नान कर शुद्धता के साथ पूजा के लिए तैयार हो जाते हैं।

  2. माँ लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि का पूजन:
    पूजा स्थल पर माँ लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। माँ लक्ष्मी के साथ कुबेर देवता की भी पूजा की जाती है।

  3. दीप जलाना:
    घर के प्रवेश द्वार पर और चारों कोनों में दीप जलाएँ। साथ ही मुख्य पूजा स्थान पर भी दीप जलाकर रखें। यह दीपक पूरे रात जलता रहना चाहिए, जो जीवन में सुख और समृद्धि की रोशनी का प्रतीक है।

  4. धनतेरस के दिन खरीदारी:
    इस दिन सोना, चांदी, बर्तन या धन संबंधी वस्त्र और अन्य सामग्री खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से जीवन में स्थिरता और धन की वृद्धि होती है।

  5. कुबेर पूजन:
    धनतेरस के दिन कुबेर देवता की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है। कुबेर देवता धन के स्वामी माने जाते हैं, और उनकी पूजा से घर में संपत्ति की वृद्धि होती है।

  6. मंत्र जाप और आरती:
    पूजा के अंत में माँ लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देवता की आरती की जाती है। परिवार के सभी सदस्य आरती में शामिल होते हैं और इसके बाद प्रसाद का वितरण होता है।

धनतेरस का महत्व

धनतेरस को धन त्रयोदशी भी कहा जाता है। यह पर्व हमें धन और स्वास्थ्य का महत्व समझाता है। धनतेरस का दिन माँ लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की आराधना कर जीवन में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करने का दिन है।

  • धन की वृद्धि:
    धनतेरस पर खरीदी गई वस्तुओं को भविष्य में धन की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।

  • स्वास्थ्य और आयुर्वेद:
    भगवान धन्वंतरि के जन्म के उपलक्ष्य में आयुर्वेद और स्वास्थ्य को भी महत्व दिया जाता है।

  • परिवार की समृद्धि:
    दीप जलाने से घर में खुशहाली और समृद्धि का आगमन होता है। दीपावली के त्योहार की शुरुआत भी धनतेरस से मानी जाती है।

धनतेरस का पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली को बनाए रखने के लिए मेहनत, स्वास्थ्य, और धन का सही उपयोग करना चाहिए।

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