चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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धनतेरस पर भारत लौटा 102 टन सोना, कुल स्वर्ण भंडार ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचा

 धनतेरस पर भारत लौटा 102 टन सोना, कुल स्वर्ण भंडार ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचा


 
नई दिल्ली: धनतेरस के मौके पर भारत ने बैंक ऑफ इंग्लैंड से 102 टन सोना वापस देश में लाकर अपने स्वर्ण भंडार को एक ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। सितंबर 2022 से अब तक भारत ने कुल 214 टन सोना विदेश से स्वदेश वापस लाया है। मौजूदा समय में भारत का स्वर्ण भंडार 854.73 टन पर है, जो भारतीय इतिहास में सर्वाधिक है।

गौरतलब है कि 1990 के वित्तीय संकट के दौरान भारत सरकार को अपने आर्थिक संकट से उबरने के लिए विदेश में सोना गिरवी रखना पड़ा था। मोदी सरकार की इस पहल को भारत के आर्थिक संप्रभुता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

India’s historic repatriation of 102 tons of gold from the Bank of England on Dhanteras, symbolizing economic strength and sovereignty. Let me know if you'd like any adjustments.

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