चिन्मस्तिका देवी: Devi Chhinnamasta

  चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप चिन्मस्तिका देवी का स्वरूप अद्भुत और असामान्य है। उनके इस अद्वितीय रूप का गहरा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है। मस्तक का स्वयं बलिदान: देवी ने अपने ही मस्तक को काटकर उसे हाथ में थाम रखा है। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक है। तीन रक्त की धाराएँ: पहली धारा देवी के मुख में जा रही है। अन्य दो धाराएँ उनके दोनों सहायकों या दासियों के मुख में जा रही हैं, जो तृप्ति और भक्ति का प्रतीक हैं। कमल पर खड़े रहना: देवी एक विशाल कमल के फूल पर खड़ी हैं, जो ब्रह्मांडीय चेतना और शुद्धता का प्रतीक है। शिव पर खड़े रहना: देवी अपने चरणों से भगवान शिव के शरीर पर खड़ी हैं, जो जड़ता (passivity) और शक्ति (energy) के सामंजस्य को दर्शाता है। आभूषण और माला: उनके गले में नरमुंडों की माला और शरीर पर साधारण आभूषण हैं, जो जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की अपरिहार्यता को दर्शाते हैं। दासी रूप में संगिनी: उनके दोनों ओर उनकी सहायक दासियाँ हैं, जो उनके दिव्य बल और शक्ति में सहयोगी हैं। पौराणिक कथा और महत्व चिन्मस्तिका देवी के इस र...

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अब हिंदी में भी कर सकेंगे MBBS की पढ़ाई: नई पहल से छात्रों को मिलेगा फायदा

अब हिंदी में भी कर सकेंगे MBBS की पढ़ाई: नई पहल से छात्रों को मिलेगा फायदा


 भारत में चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने की पहल शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मध्य प्रदेश में हिंदी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम की शुरुआत का उद्देश्य छात्रों को उनकी मातृभाषा में उच्च शिक्षा का अवसर प्रदान करना है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत भारतीय भाषाओं के उत्थान और क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयासों का हिस्सा है।

मुख्य बिंदु:

  1. हिंदी में एमबीबीएस:
    मध्य प्रदेश में एमबीबीएस के छात्रों के लिए तीन विषयों (एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, और बायोकैमिस्ट्री) की पाठ्यपुस्तकें हिंदी में प्रकाशित की गई हैं।

  2. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पहल:
    इस नीति का उद्देश्य भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना है। इसके तहत अन्य राज्यों में भी क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने की योजना है।

  3. अन्य भाषाओं में विस्तार:
    हिंदी के अलावा, देश की आठ अन्य भाषाओं में भी तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा शुरू करने पर काम जारी है।

  4. क्षेत्रीय भाषाओं में उच्च शिक्षा की सिफारिश:
    एक संसदीय पैनल ने सिफारिश की है कि हिंदी भाषी राज्यों में शिक्षा का माध्यम हिंदी और अन्य राज्यों में संबंधित क्षेत्रीय भाषाएं होनी चाहिए।

  5. विरोध:

    • तमिलनाडु में द्रमुक ने इस कदम को "हिंदी थोपने" की कोशिश बताया।
    • तेलंगाना के टीआरएस नेता ने भी संसदीय पैनल की सिफारिशों की आलोचना की।

महत्व और चुनौतियां:

  • महत्व:
    मातृभाषा में शिक्षा से छात्रों को बेहतर समझ और अभिव्यक्ति में मदद मिलेगी। यह ग्रामीण और हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए अवसर बढ़ाएगा।
  • चुनौतियां:
    1. पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण संसाधनों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
    2. तकनीकी शब्दावली का सटीक अनुवाद और समझ विकसित करना।
    3. सभी राज्यों में एक समान शिक्षा प्रणाली बनाए रखना।

भविष्य की संभावनाएं:

यदि यह मॉडल सफल होता है, तो अन्य राज्यों और भाषाओं में भी इसे लागू किया जा सकता है। यह कदम भारतीय भाषाओं को मुख्यधारा में लाने और अंग्रेजी पर निर्भरता कम करने में मदद करेगा। लेकिन इसे क्षेत्रीय विविधता और संतुलन के साथ लागू करना महत्वपूर्ण है।

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