Martyrdom of Sri Guru Tegh Bahadur

हिंदू धर्म के रक्षक श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत से एक दिन पहले उन्हें डराने के लिए चांदनी चौंक में उनके सिख भाई मति दास जी को आरे से दो टुकड़े कर दिए गए,भाई सती दस जी को रुई में लपेट जिंदा जलाया गया, भाई दयाल जी को देग में उबाल कर शहीद किया गया। उनकी शहादत को बारम्बार प्रणाम 

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पंचमुखी हनुमान की कथा: Panchmukhi Hanuman represents Joy and happiness which is symbolic to bring Prosperity and Good Luck.

पंचमुखी हनुमान की कथा

हनुमानजी को उनकी शक्ति, भक्ति और अद्वितीय वीरता के लिए जाना जाता है। भगवान श्रीराम के प्रति उनके अपार प्रेम और समर्पण के कारण उन्हें एक विशेष दर्जा प्राप्त हुआ है। हनुमानजी की अद्वितीय शक्तियों के कई प्रसंग हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है उनका पंचमुखी रूप। रामायण के अनुसार, हनुमानजी ने अपने पाँच मुखों को प्रकट कर विशेष उद्देश्यों की पूर्ति की। यहाँ हम विस्तार से जानेंगे कि हनुमानजी पंचमुखी क्यों बने और इस रूप की क्या महत्ता है।

पंचमुखी हनुमान की उत्पत्ति की कथा

लंकापति रावण के भाई अहिरावण ने रावण की सहायता करने के लिए भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को बंदी बना लिया था और उन्हें पाताल लोक में ले गया। अहिरावण एक शक्तिशाली मायावी राक्षस था और उसकी पूजा का विधान ऐसा था कि वह देवी महाकाली को श्रीराम और लक्ष्मण का बलिदान देना चाहता था। यह सुनते ही हनुमानजी बहुत चिंतित हुए और उन्होंने अपने प्रभु को बचाने का संकल्प लिया।

हनुमानजी जब पाताल लोक पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि अहिरावण को मारने का तरीका अत्यंत कठिन है। अहिरावण को वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु तभी संभव होगी जब चारों दिशाओं और आकाश-पाताल में स्थित पांच दीपकों को एक साथ बुझा दिया जाए। केवल तभी अहिरावण मारा जा सकता था। हनुमानजी ने इस चुनौती का सामना करने के लिए अपना पंचमुखी रूप धारण किया।

पंचमुखी हनुमान के पाँच मुख

हनुमानजी ने अपने पंचमुखी रूप में पाँच विभिन्न मुखों का अवतार लिया, जिनके हर एक मुख की अपनी विशेषता और शक्ति है। ये पाँच मुख इस प्रकार हैं:

  1. पूर्व मुख – वानर रूप: यह हनुमानजी का मुख्य रूप है, जिसमें वे श्रीराम के प्रति अपनी भक्ति प्रदर्शित करते हैं।
  2. दक्षिण मुख – नरसिंह रूप: भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार का यह मुख राक्षसों का संहार करने में सक्षम है।
  3. पश्चिम मुख – गरुड़ रूप: गरुड़ के मुख का रूप लेकर हनुमानजी ने सभी प्रकार के विष और नागों का नाश किया।
  4. उत्तर मुख – वराह रूप: वराह मुख धारण कर हनुमानजी ने पृथ्वी और भक्तों की रक्षा की।
  5. ऊर्ध्व मुख – हयग्रीव रूप: हयग्रीव मुख का धारण कर हनुमानजी ने ज्ञान और बुद्धि के देवता का स्वरूप लिया।

हनुमानजी ने अपने पाँचों मुखों का उपयोग करते हुए एक साथ पाँचों दिशाओं में दीपकों को बुझाया और अहिरावण का वध कर श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया। इस प्रकार हनुमानजी का पंचमुखी रूप उनकी भक्ति, वीरता और बुद्धिमत्ता का प्रतीक बन गया।

पंचमुखी हनुमान का महत्व

पंचमुखी हनुमान का यह रूप हमारे जीवन में कई महत्वपूर्ण सीखें देता है:

  • भक्ति और समर्पण: पंचमुखी हनुमान का रूप हमें सिखाता है कि जब हमारी भक्ति और समर्पण अटूट हो, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं रहती।
  • धैर्य और साहस: पंचमुखी रूप से हनुमानजी ने अपने धैर्य और साहस को साबित किया और असंभव को संभव बना दिया।
  • ज्ञान और बुद्धि: हनुमानजी का हयग्रीव मुख ज्ञान और समझदारी का प्रतीक है, जो बताता है कि हर कार्य में विवेक का महत्व होता है।

पंचमुखी हनुमान की पूजा का महत्व

पंचमुखी हनुमान की पूजा करने से भक्तों में साहस, भक्ति और धैर्य का संचार होता है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति पंचमुखी हनुमान की पूजा करता है, वह सभी प्रकार की बुरी शक्तियों, भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त हो जाता है। पंचमुखी हनुमानजी का यह रूप संकटों का नाशक और भक्तों का रक्षक माना गया है।

निष्कर्ष

हनुमानजी का पंचमुखी रूप उनकी अद्वितीय शक्तियों और भक्ति का प्रमाण है। यह रूप हमें बताता है कि यदि हमारे भीतर अडिग भक्ति, धैर्य, साहस और विवेक हो, तो हम किसी भी कठिनाई का सामना कर सकते हैं। पंचमुखी हनुमान का आदर और पूजा करके हम उनके गुणों को अपने जीवन में आत्मसात कर सकते हैं और कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्राप्त कर सकते हैं।

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